करीब 6 सदी पहले के भारत और मौजूदा हिन्दुस्तान के बीच के फासले को देखें तो लगता है कि अगर कबीर आज होते तो क्या आज हमारे आसपास का संसार ऐसा ही होता ? 6 सौ साल पहले वो जो लिख गए, उनका जो चिंतन और दर्शन या यों कहिए कि पंथ अपने आप में एक बेहतरीन दुनिया की कल्पना और सोच से भरा है, क्या अब भी हम ऐसे समाज की कल्पना कर सकते हैं? दरअसल कबीर सिर्फ कबीर नहीं थे.. उन्हें युग प्रवर्तक यूं ही नहीं कहा जाता । आज
प्रभात सिंह एक बेहतरीन फोटोग्राफर हैं, कला-संस्कृति-इतिहास-पुरातत्व में खासी दिलचस्पी रखते हैं। उनकी वेबसाइट पर तमाम पठनीय चीजें आपको मिल जाएंगी। उनमें से कुछ हम 7 रंग के पाठकों के लिए लाते रहेंगे। फिलहाल प्रभात सिंह का यह फोटो फीचर देखिए जो उन्होंने उड़ीसा के मशहूर कोणार्क के सूर्य मंदिर में घूमते हुए अपने कैमरे में कैद किया है
जाने माने पत्रकार और छायाकार प्रभात सिंह की पहल पर बरेली में ‘संवाद न्यूज़’ और ‘विंडरमेयर’ की तरफ से 18 अगस्त को वृतचित्र उत्सव मनाया जा रहा है। वृत्त चित्र यानी डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के इस उत्सव में गांधी जी की 150वीं जयंती और जश्न-ए-आज़ादी पर केन्द्रित फिल्में दिखाई जाएंगी। ये फ़िल्में देश के स्वाधीनता आंदोलन के अलग-अलग पहलुओं का दस्तावेज़ हैं। इस दौरान 4 मिनट से लेकर 38 मिनट तक की न