‘बदलते वक्त के साथ कहानियों का संसार बदला है, उन्हें पढ़ने के तौर तरीके भी बदले हैं। अब वो दौर नहीं है कि कहानियां या उपन्यास सोने से पहले नींद की गोली की तरह इस्तेमाल किए जाते थे... दो चार पेज पढ़ा, नींद आ गई फिर किताब किनारे रख दी। अब इंटरनेट पर तमाम प्लेटफॉर्म्स हैं, सोशल मीडिया है, जहां आप जब चाहें, पढ़ सकते हैं। इसलिए लिखते वक्त हमेशा इस बात का ध्यान रखना ज़रूरी है कि हम लिख किसके लिए