और विनोद दुआ भी चले गए... कुछ महीने पहले चिन्ना दुआ गई थीं तो कोरोना से टूट चुके विनोद जी बेहद अकेले हो गए थे... खुद को उबारने की कोशिश बहुत की, लेकिन बाहर नहीं निकल सके...उनका जाना एक जीवंत और जुझारू शख्सियत का बहुत जल्दी चले जाने जैसा है... उनमें एक पत्रकार के साथ साथ पूरा देश बसता था, यहां की संस्कृति, मिट्टी की महक, जायके की खूशबू और सियासत की बात करें तो सत्ता की विद्रूपताओं पर उनकी तल्ख व्