कुंवर नारायण बेशक 90 साल के हो गए हों, बीमार भी रहे हों, लेकिन उनका चले जाना कई स्मृतियों को फिर से ताजा कर गया। लखनऊ में हुई उनसे एकाध मुलाकातें और कुछ समारोहों में उनकी बेहद संज़ीदा और सरल उपस्थिति। वो किसी वाद के शिकार नहीं थे फिर भी वो जनवादी थे। वो किसी विचारधारा में बंधे नहीं थे लेकिन लिखने में वो आपके बेहद करीब खड़े दिखते थे, एकदम हमारे आपके पास, ज़िंदगी की उलझनों और हकीकतों के सा