आज बेशक अतुल जी को गए ग्यारह साल गुज़र गए हों लेकिन संस्थान को जिस ऊंचाई तक वो लेकर आए और पत्रकारिता के मानदंड स्थापित किए उसे समूह के मौजूदा चेयरमैन राजुल माहेश्वरी और माहेश्वरी परिवार की नई पीढ़ी ने बेहद संज़ीदगी से आगे बढ़ाया है।
अमर उजाला के सलाहकार संपादक उदय कुमार मॉरीशस से लगातार विश्व हिन्दी सम्मेलन पर बेहतरीन रिपोर्ताज अपने अखबार और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भेज रहे हैं। सम्मेलन के आखिरी दिन यानी सोमवार 20 अगस्त को क्या कुछ हुआ , हिन्दी को विश्व की भाषा बनाने के साथ ही बदलते तकनीकी दौर और डिजिटल युग के साथ जोड़ने और विकसित करने को लेकर सम्मेलन में क्या विचार आए , उदय जी की इस रिपोर्ट से इसकी विस्तृत जानकार
अमर उजाला की अनोखी साहित्यिक पहल ‘बैठक’ की ‘जुगलबंदी‘ इस बार नामवर सिंह और हिन्दी के विद्वान लेखक और शिक्षाविद् विश्वनाथ त्रिपाठी के बीच हुई। नामवर सिंह और विश्वनाथ त्रिपाठी ने अमर उजाला टीम के साथ अपने ढेर सारे अनुभव बांटे, आलोचकों की परंपरा को अपने अपने नज़रिये से देखा, वामपंथ के साथ साथ दक्षिणपंथ के मौजूदा स्वरूप पर चर्चा की, लेखकों के सम्मान वापसी पर राय जाहिर की।
मीडिया से लगभग गायब हो चुके साहित्य और साहित्यकारों को अगर कोई हिन्दी अखबार मंच दे और आज के दौर में पत्रकारिता की नई परिभाषा गढ़े तो बेशक इसके लिए वह बधाई का पात्र है। उत्तर भारत के सबसे विश्वसनीय अखबार ‘अमर उजाला’ ने ऐसी ही पहल की है।