रंगमंच के तमाम आयामों और थिएटर पर चलने वाली बहसों को करीब से देखने समझने और उसपर लगातार लिखने वाले नाटककार राजेश कुमार ने दिल्ली के उस नए ट्रेंड को पकड़ने की कोशिश की है जो रंगकर्मियों के लिए नया उत्साह जगाने वाला है। अब तक कई चर्चित नाटक लिख चुके राजेश कुमार ने स्टूडियो थिएटर की इस नई परिकल्पना को करीब से देखा।
साहित्य कला परिषद के आगामी नाट्य समारोहों के लिए कलाकारों से जो प्रविष्ठियां मांगी गई हैं, उनकी शर्तें अगर पढ़िए तो साफ लगेगा कि अब सरकार कंटेंट अपने मतलब का चाहती है, स्क्रिप्ट वैसा ही चाहिए जो सरकार की नीतियों की तारीफ करे। इसके खिलाफ दिल्ली के युवा रंगकर्मियों में असंतोष है। मशहूर रंगकर्मी, निर्देशक और जन सरोकारों से जुड़े मुद्दों पर नाटक करने वाली संस्था अस्मिता के संस्थापक