लॉकडाउन के दौरान शुरुआत के कुछ दिनों की निराशा-हताशा और डर को छोड़कर फिर जो सोशल मीडिया साहित्य का दौर शुरु हुआ, वर्चुअल संवाद, वेबिनार और लाइव का सिलसिला शुरु हुआ, वह दिसंबर आते आते हरेक के जीवन का हिस्सा बन गया। इस मायने में कोरोना काल इतिहास में दर्ज किया जाएगा कि कैसे एक झटके में इसने सबको डिजिटल बना दिया और फासलों के बावजूद इस ‘काल’ ने आभासी दुनिया में सबको एक दूसरे के पास पहुंचा