बेशक गांधी जी देश के लिए महात्मा और राष्ट्रपिता हों, लेकिन अगर कस्तूरबा गांधी का सहयोग, साथ और भरोसा उन्हें नहीं मिलता तो शायद आज गांधी जी की ये स्वीकार्यता न होती। आम तौर पर कस्तूरबा गांधी भुला दी गई हैं, उनके योगदान को उस तरह शायद नहीं समझा गया और उस दौर के भारतीय रूढ़ीवादी समाज में जिस तरह महिलाओं को त्याग की मूर्ति, पतिव्रता और पुरुषों की तमाम कमियों के बावजूद उन्हें आगे बढ़ने मे