किसी भी देश की संस्कृति को विकसित करने, इसे सहेजने और खुद को अभिव्यक्त करने का एक बेहतरीन ज़रिया है साहित्य। साहित्य वो विधा है जिसके कई आयाम हैं। कहानियां, कविताएं, गीत, शायरी, लेख, संस्मरण, समीक्षा, आलोचना, नाटक, रिपोर्ताज, व्यंग्य – अभिव्यक्ति के तमाम ऐसे माध्यम हैं जिनसे साहित्य बनता है और समृद्ध होता है। साहित्य में समाज और जीवन के हर पहलू की झलक होती है। संवेदनाओं और दर्शन का बेहतरीन मेल होता है। संस्कृति और तमाम कालखंडों की और राजनीति से लेकर बेहद निजी रिश्तों तक की अद्भुत अभिव्यक्ति होती है। भाषा का एक विशाल संसार गढ़ता है साहित्य। साहित्य के मौजूदा स्वरूप, नए रचनाकर्म और छोटे बड़े साहित्यिक आयोजनों के अलावा आप इस खंड में पाएंगे साहित्य का हर रंग…


साहित्य
मजाज़ हूं सरफ़रोश हूं मैं…
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October 19, 2024

मजाज़ की ख़ूबसूरत, पुरसोज़ शायरी के पहले भी सभी दीवाने थे। इतने सालों बाद भी यह दीवानगी क़ायम है. मजाज़ सरापा मुहब्बत थे. तिस पर उनकी शख़्सियत भी दिलनवाज़ थी. सुरीली आवाज़ और पुरकशिश तरन्नुम में नज़्म पढ़ते तो बस उनकी आवाज़ महसूस की जाती, उनका क़लाम सुना जाता. सामयीन उनकी नज़्मों में डूब जाते. बाज़ आलोचक उन्हें उर्दू का कीट्स कहते थे, तो फ़िराक़ गोरखपुरी की नज़र में, ‘‘अल्फ़ाज़ के इंत

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‘दिल्ली के साहित्यिक मठाधीश नई प्रतिभाओं का इस्तेमाल करते हैं’
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September 30, 2024

वरिष्ठ कहानीकार चंद्र किशोर जायसवाल को दिल्ली के इंडिया हैबीटेट सेंटर में एक भव्य आयोजन के दौरान 2024 का श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको सम्मान दिया गया है। वहीं इसी साल शुरु हुए श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको युवा साहित्य सम्मान सुश्री रेनू यादव को उनके कहानी संग्रह ‘काला सोना’ के लिए दिया गया। इन लेखकों को ये सम्मान जाने माने आलोचक और वयोवृद्ध साहित्यकार प्रोफेसर विश्वनाथ त्रिपाठी ने दि

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कहते हैं चुप रहना अच्छा है : त्रिलोचन
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August 20, 2024

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भीष्म साहनी को पढ़ना आज भी क्यों ज़रूरी है
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August 8, 2024

सुप्रसिद्ध साहित्यकार और नाटककार भीष्म साहनी की स्मृतियों का उनके जन्मदिन पर अस्मिता थिएटर ग्रुप के फेसबुक वॉल से ये रिपोर्ट पढ़िए।  अरविंद गौड़ ने उनके तमाम नाटकों का मंचन किया। भीष्म साहनी को बेशक 'तमस' के लिए याद किया जाता हो, लेकिन साहित्य के क्षेत्र में उनके अद्भुत और उल्लेखनीय योगदान के साथ ही इप्टा में उनकी सक्रियता को कभी भूला नहीं जा सकता।  आज भी भीष्म साहनी उतने ही प्रास

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 कथा रंग लिट्रेरी फेस्ट: दिग्गज साहित्यकारों का संगम
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July 11, 2024

गाजियाबाद में एक बार फिर साहित्य की नई इबारत लिखी जा रही है। 'कथा रंग' की ओर से आयोजित अखिल भारतीय कहानी प्रतियोगिता के पुरस्कृत रचनाकार 13 जुलाई को गाजियाबाद लिट्रेरी फेस्ट में सम्मानित किए जाएंगे। 'कथा रंग' कहानी महोत्सव एवं अलंकरण समारोह" के नाम से आयोजित यह एक दिवसीय कार्यक्रम बुलंदशहर रोड औद्योगिक क्षेत्र स्थित सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल में संपन्न होगा।

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फोसवाल महोत्सव: युद्ध के खिलाफ साहित्य की भूमिका
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December 5, 2023

फोसवाल महोत्सव के तीसरे दिन  की शुरुआत 'दो निर्रथक युद्धों की पीड़ा' पर चर्चा से हुई। इस सत्र में केरल के लेखक, कवि के वी डोमिनिक, डिफेन्स जर्नलिस्ट नीरज राजपूत और समाजशास्त्री आशीष नंदी ने हिस्सा लिया। युद्धों के पीछे के कारणों पर चर्चा करते हुए के वी डोमिनिक ने कहा, "दुनिया भर में युद्ध कराने में धर्म का बड़ा हाथ रहा है। अधिकतर धार्मिक नेता लोगों को शांति और सहिष्णुता का पाठ पढ़ाने की

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कबीर के वैश्विक ईश्वर न हिन्दू, न मुसलमान – प्रो. हरबंस मुखिया
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December 3, 2023

एक तरफ देश में चुनावी नतीजों के बाद सियासी सरगर्मियां तेज़ हैं, दूसरी तरफ इससे अलग साहित्य और संस्कृति की दुनिया में कुछ नई और रचनात्मक कोशिशें जारी हैं। सार्क देशों के सम्मेलनों की खबरें हम खूब पढ़ते हैं जहां दक्षिण एशियाई देशों के नेतागण तरह तरह के समझौतों पर दस्तखत करते या सहमति बनाते नज़र आते हैं, ऐसे ही आठ दक्षिण एशियाई देशों की कला और साहित्य को एक मंच पर लाने का काम इन दिनों द

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संस्कृति को सरहद नहीं संवाद चाहिए-अजीत कौर
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December 1, 2023

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से रा यात्री: एक अनवरत साहित्यिक यात्रा का अंत
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November 20, 2023

वरिष्ठ कथाकार, उपन्यासकार, संपादक और अपनी लंबी साहित्यिक यात्रा के अनुभवों से भरे से रा यात्री का जाना साहित्य जगत के लिए एक सदमे की तरह है। यात्री के जाने से देश की हिन्दी पट्टी का साहित्य संसार जहां वीरान हो गया वहीं यात्री जी की साहित्यिक यात्रा पर पूर्ण विराम लग गया।

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स्वतंत्रता सेनानी रामचंद्र नंदवाना सम्मान अवधेश प्रधान को 
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August 30, 2023

चित्तौड़गढ़। साहित्य संस्कृति के संस्थान संभावना द्वारा स्वतन्त्रता सेनानी रामचन्द्र नन्दवाना स्मृति सम्मान की घोषणा कर दी गई है। संभावना के अध्यक्ष डॉ के सी शर्मा ने बताया कि वर्ष 2023 के लिए स्वतन्त्रता सेनानी रामचन्द्र नन्दवाना स्मृति सम्मान बनारस निवासी प्रसिद्ध आलोचक अवधेश प्रधान को उनकी चर्चित कृति 'सीता की खोज' के लिए दिया जाएगा।

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