किसी भी देश की संस्कृति को विकसित करने, इसे सहेजने और खुद को अभिव्यक्त करने का एक बेहतरीन ज़रिया है साहित्य। साहित्य वो विधा है जिसके कई आयाम हैं। कहानियां, कविताएं, गीत, शायरी, लेख, संस्मरण, समीक्षा, आलोचना, नाटक, रिपोर्ताज, व्यंग्य – अभिव्यक्ति के तमाम ऐसे माध्यम हैं जिनसे साहित्य बनता है और समृद्ध होता है। साहित्य में समाज और जीवन के हर पहलू की झलक होती है। संवेदनाओं और दर्शन का बेहतरीन मेल होता है। संस्कृति और तमाम कालखंडों की और राजनीति से लेकर बेहद निजी रिश्तों तक की अद्भुत अभिव्यक्ति होती है। भाषा का एक विशाल संसार गढ़ता है साहित्य। साहित्य के मौजूदा स्वरूप, नए रचनाकर्म और छोटे बड़े साहित्यिक आयोजनों के अलावा आप इस खंड में पाएंगे साहित्य का हर रंग…


साहित्य
कला लेखन को मीडिया की मुख्य धारा में लाने की चिंता
7 Rang
July 31, 2017

मुख्य धारा की पत्रकारिता से किस तरह कला और संस्कृति हाशिये पर चली गई है और इसे कैसे मीडिया में सम्मानजनक जगह दिलाई जाए, इसे लेकर ललित कला अकादमी खासा चिंतित है। अकादमी ने इस बारे में चिंतन और कारगर पहल करने के मकसद से दिल्ली में भारतीय भाषाओं के करीब 50 कला लेखकों का एक सम्मेलन किया।

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भारत भवन में 5 दिनों का जयशंकर प्रसाद समारोह
7 Rang
July 12, 2017

मशहूर लेखक, कवि, कहानीकार, उपन्यासकार और नाटककार जयशंकर प्रसाद की याद में भोपाल के भारत भवन में पांच दिनों का एक समारोह होने जा रहा है। इसमें प्रसाद के काव्य और गद्य के साथ उनके नाटकों पर भी विस्तृत चर्चा होगी। साथ ही प्रसाद के लेखन को आज के संदर्भ से जोड़कर उनकी सामयिकता को भी सामने लाया जाएगा।

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झीनी झीनी बीनी चदरिया…
7 Rang
July 4, 2017

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डायरी के बहाने कस्तूरबा का दर्द…
7 Rang
June 8, 2017

अपनी किताबों के ज़रिये मौजूदा समाज की असलियत तलाशती नीलिमा डालमिया आधार की नई किताब ‘द सीक्रेट डायरी ऑफ कस्तूरबा’ मौजूदा समाज में किसी के ‘महान’ बनने की प्रक्रिया और पुरुषवादी सोच का बारीकी से विश्लेषण करती है। गांधी को ‘गांधी’ बनाने में कस्तूरबा ने अपना क्या क्या खोया होगा, किन इम्तिहानों से गुज़री होंगी, खुद को कैसे परदे के पीछे रखकर एक ‘पतिव्रता’ और ‘आदर्श पारंपरिक’ पत्नी का

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क्योंकि अटल जी हमेशा अटल हैं….
7 Rang
December 24, 2016

उनके 93वें जनमदिन पर भी कुछ औपचारिकताएं निभाई जाएंगी, कुछ फूलों के गुलदस्ते उनतक पहुंचेंगे और एक संवेदनशील कवि अपनी साहित्यिक और सियासी अतीत की दुनिया के कुछ पन्ने पलटने की कोशिश करेगा। अटल जी की अच्छी सेहत के लिए दुआओं के साथ उन्हें 7 रंग की तरफ से जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएं।

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ममता का रंग आज भी हरा है…
mm Indian Art Forms
December 11, 2016

'जिसका मन रंगरेज' देव प्रकाश चौधरी की चौथी किताब है। जितने खूबसूरत अंदाज में यह किताब लिखी गई है, किताब का डिजाइन भी उतना ही शानदार है। सिलसिलेवार तरीके से यह किताब अर्पणा कौर के जीवन, संघर्ष और चित्रकार के रूप में सफलता को बयां करती है। इसे पढ़ते हुए पाठक को महसूस होगा कि वह अर्पणा कौर पर कोई डॉक्यूमेंट्री देख रहा है।

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कविवर त्रिलोचन आज भी हमारे बीच हैं…
mm Indian Art Forms
December 9, 2016

त्रिलोचन जी को गए भले ही नौ साल गुज़र गए हों लेकिन आज भी यही लगता है कि वो हमारे बीच ही हैं। उनके साथ जिन लोगों ने वक्त गुज़ारा, जिन लोगों ने उन्हें करीब से देखा और महसूस किया, उनके लिए वो हमेशा रहेंगे। अपनी कविताओं के साथ साथ अपने बेहद सरल और आत्मीय व्यक्तित्व की वजह से। ये हमारे साहित्य जगत का दुर्भाग्य है कि जो लोग...

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‘नोटबंदी से न काला धन रूकेगा, न भ्रष्टाचार खत्म होगा’
mm Indian Art Forms
December 9, 2016

कवि और गीतकार गोपालदास नीरज के साथ 7 रंग और indianartforms.com के संपादक अतुल सिन्हा ने कुछ अंतरंग पल गुज़ारे। अलीगढ़ में उनके घर पर कई मुद्दों पर उनसे आत्मीय बातचीत भी की। उम्मीदों के इस कवि ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नोटबंदी के फैसले पर नाउम्मीदी ज़ाहिर की और चुटकी लेते हुए कहा कि भ्रष्टाचार और काला धन की समस्या ऐसे फैसलों से खत्म नहीं होने वाली।

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कवि और गीतकार नीरज जी ने किया 7 रंग का लोकार्पण
mm Indian Art Forms
December 9, 2016

अपनी वेबसाइट www.indianartforms.com और वेब टीवी 7 रंग की कामयाबी के लिए देश के जाने माने वयोवृद्ध कवि और गीतकार गोपालदास नीरज ने शुभकामनाएं दी हैं। अलीगढ़ के अपने निवास पर नीरज जी ने 7 रंग का लोकार्पण करते हुए इसे करीब से देखा और भरोसा जताया कि आज साहित्य, कला और संस्कृति को लेकर मीडिया में जो उदासीनता और शून्य की स्थिति है 7 रंग और www.indianartforms.com इसे दूर करेगा।

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आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं…
mm Indian Art Forms
December 7, 2016

92 साल की उम्र में भी बेहद सक्रिय और उम्मीदों से भरे मशहूर कवि और गीतकार गोपालदास नीरज को सुनना एक अनुभव से गुज़रने जैसा है। देश और समाज को, रिश्तों और रिवाज़ों को, सियासत और सियासतदानों को अपने तरीके से देखने वाले नीरज जी ने बेहिसाब लिखा है और लिख रहे हैं। अलीगढ़ के अपने घर में नीरज जी अपने फ़ुरसत के पल गुज़ारते हैं लेकिन आज भी शायरी, कविता और गीतों की कोई भी खास महफ़िल बगैर नीरज जी के प

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