किसी भी देश की संस्कृति को विकसित करने, इसे सहेजने और खुद को अभिव्यक्त करने का एक बेहतरीन ज़रिया है साहित्य। साहित्य वो विधा है जिसके कई आयाम हैं। कहानियां, कविताएं, गीत, शायरी, लेख, संस्मरण, समीक्षा, आलोचना, नाटक, रिपोर्ताज, व्यंग्य – अभिव्यक्ति के तमाम ऐसे माध्यम हैं जिनसे साहित्य बनता है और समृद्ध होता है। साहित्य में समाज और जीवन के हर पहलू की झलक होती है। संवेदनाओं और दर्शन का बेहतरीन मेल होता है। संस्कृति और तमाम कालखंडों की और राजनीति से लेकर बेहद निजी रिश्तों तक की अद्भुत अभिव्यक्ति होती है। भाषा का एक विशाल संसार गढ़ता है साहित्य। साहित्य के मौजूदा स्वरूप, नए रचनाकर्म और छोटे बड़े साहित्यिक आयोजनों के अलावा आप इस खंड में पाएंगे साहित्य का हर रंग…


साहित्य
वजू करूं अजमेर में.. काशी में स्नान
mm Indian Art Forms
December 4, 2016

आज के दौर में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर बहस छिड़ी है और देश एक अजीबो गरीब दौर से गुज़र रहा है। रिश्तों और सामाजिक तानेबाने पर सवाल उठ रहे हैं। सियासत के साथ साथ तकनीकी विकास, वर्चुअल दुनिया, कैशलेस इंडिया का सपना और कतारों में खड़ा देश हर गली चौराहों पर नज़र आ रहा है, ऐसे में बेकल उत्साही जैसे शायर का गुज़र जाना किसी अपने को खो देने जैसा है।

Read More
प्रमोद कौंसवाल की कलम से —
mm Indianartforms
November 30, 2016

बड़ी ही सस्ती, लेकिन जिसे वह सरल कहती हैं, गायिकी करने वाली फ़रीदा ख़ानम की समकालीन पाकिस्तानी फ़नकार मुन्नी बेगम से उनके कार्यक्रम के एक रोज़ पहले यानी पूर्व संध्या पर मैंने उनका एक इंटरव्यू लिया- सिटी ब्यूटीफ़ुल के सेक्टर बाइस में। वह मेंहदी हसन की तरह कभी संजीदा गायिकी नहीं कर सकी हैं

Read More
जश्न-ए-रेख़्ता 17 फरवरी 2017 से दिल्ली में
mm Indianartforms
November 29, 2016

जश्न-ए-रेख़्ता, ३ दिवसीय वार्षिक महोत्सव जिसके जरिए उर्दू भाषा के जन्म और विकास का जश्न मनाया जाएगा। इस महोत्सव के जरिए ऊर्दू भाषा के जन्म और भारतीय उपमहाद्वीप में उसके विकास की सराहना और इसकी सुंदरता और बहुमुखी प्रतिभा के प्रति जागरुकता पैदा करना है।

Read More
भाषा और शब्दों से खेलने की सियासत
mm Indianartforms
November 29, 2016

शब्द का अपकर्ष भाषा की हत्या है। विकलांग शब्द का दिव्यांग किया जाना मैं एक शब्द की हत्या मानता हूं। संवेदनशील समाज तो विकलांग शब्द का प्रयोग पहले भी बेहद सम्मान के साथ किया करता था। बस, ट्रेन या किसी भी अन्य स्थान पर विकलांग बंधुओं के लिए संवेदनशील लोग सदैव सहानुभूति रखते हैं। जिन लोगों की सोच बदलने के लिए दिव्यांग शब्द लाया गया है, उनके लिए तो यह शब्द भी व्यंग्य और उपेक्षा का शब्द ब

Read More
नामवर सिंह का जन्मदिन और महाश्वेता देवी की विदाई
mm Indianartforms
August 29, 2016

एक अजीब संयोग है। जीवन के 90 साल पूरे करने और साहित्य जगत में अहम मुकाम पाने वाली दो शख्सियतें आज की तारीख में खबर बन गईं। सबसे जुझारू और आम जीवन से जुड़ी कहानियां और उपन्यास लिखने वाली महाश्वेता देवी हमें हमेशा के लिए छोड़ गईं। कोलकाता में उन्होंने आखिरी सांस ली और उन तमाम संघर्षशील और नए कल की उम्मीदों से भरे साहित्यप्रेमियों को अलविदा कह दिया।

Read More
और अब नीलाभ भी चले गए…
mm Indianartforms
July 23, 2016

मशहूर कवि और पत्रकार नीलाभ अश्क का संक्षिप्त बीमारी के बाद शनिवार को निधन हो गया। वह 70 साल के थे। नीलाभ का जन्म 16 अगस्त 1945 को मुंबई में हुआ था। उनके पिता उपेंद्र नाथ अश्क हिंदी मशहूर लेखक थे। कई चर्चित कृतियों का अनुवाद भी किया। कुछ ही दिन पहले नीलाभ के समकालीन रहे कवि पंकज सिंह ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया था।

Read More
सियासत के फेर में उर्दू बेदार
mm Indianartforms
February 19, 2016

इलाहाबाद : जिस मुल्क में हम रहते है उसमें 5 करोड़ 15 लाख 36 हजार 111 लोग उर्दू के जानकार हैं जो रोजाना जिन्दगी में उर्दू बोलते या लिखते हैं| इस मुल्क के 6 सूबों में उर्दू को सरकारी जुबान का दर्जा भी दे दिया गया है। बावजूद इसके आज मुल्क में इस भाषा का सूरत-ए-हाल उर्दू पसंद लोगों की आँखें खोलने वाला है|

Read More
हिन्दी, उर्दू और संस्कृत के अच्छे दिन लाएगी हिन्दुस्तानी एकेडमी
mm Indianartforms
February 16, 2016

उत्तर भारत के रचनाकारों की रचनाधर्मिता को प्रोत्साहित करने के लिए स्थापित की गई यूपी की हिन्दुस्तानी एकेडमी अदब से जुड़े रचनाकारों के लिए अब अच्छे दिन लाने की योजना बना रही है| हिन्दुस्तानी एकेडमी ने ऐलान किया है कि हिन्दी और उर्दू के रचनाकारों को उनके साहित्यिक योगदान के लिए सम्मानित और पुरस्कृत करने की बंद हो चुकी परम्परा अब 18 बरसों के बाद फिर से शुरू की जायेगी|

Read More
आएंगे उजले दिन, ज़रूर आएंगे…
mm Indianartforms
September 29, 2015

साहित्य और पत्रकारिता के बीच क्या रिश्ता हो सकता है, इसे समझने के लिए वीरेन डंगवाल की शख्सियत को करीब से देखा जा सकता है। 68 साल के वीरेन डंगवाल की सादगी के बारे में, संवेदनशीलता के बारे में, उम्मीदों से भरी उनकी कविताओं के बारे में उनके चाहने वालों ने लगातार लिखा, अपने अनुभव साझा किए और वीरेन दा के गुज़र जाने के बाद तमाम मंचों पर उन्हें अपने अपने तरीके से याद किया।

Read More
Copyright 2023 @ Vaidehi Media- All rights reserved. Managed by iPistis