देश विदेश के अलग अलग हिस्सों में भारतीय साहित्य, कला और संस्कृति से जुड़े तमाम कार्यक्रम होते हैं, ढेर सारी गतिविधियां होती हैं। कई ख़बरें भी होती हैं जो हम तक नहीं पहुंच पातीं। गोष्ठियां, कार्यशालाएं होती हैं, रंगकर्म की तमाम विधाओं की झलक मिलती है और लोक संस्कृति के कई रूप दिखते हैं। नए कलाकार, नई प्रतिभाएं और संस्थाएं साहित्य-संस्कृति को समृद्ध करने की कोशिशों में लगे रहते हैं लेकिन उनकी जानकारी कम ही लोगों तक पहुंच पाती है। हमारी कोशिश है कि इस खंड में हम ऐसी ही गतिविधियों और ख़बरों को शामिल करें … चित्रों और वीडियो के साथ।


गतिविधियां/ख़बरें
‘बटरफ्लाई’ दादी का हौसला
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March 25, 2016

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उर्दू अदब की सबसे पुरानी विरासत को बचाने की बड़ी पहल
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February 25, 2016

उर्दू अदब की तमाम अनमोल विरासत आज मुल्क के कई तंजीमो में बिखरी पड़ी है जो बदइन्तज़ामी की वजह से मिटने की कगार पर है| आजादी के पहले उर्दू और हिन्दी अदब की सबसे पुरानी तंजीम हिन्दुस्तानी एकेडमी ने अपनी उर्दू अदब को बचाने के लिए एक बड़ी पहल की है| 90 बरस की हो गई हिन्दुस्तानी एकेडमी में मौजूद उर्दू अदब की 5 हजार से अधिक दुर्लभ ग्रंथों और अभिलेखों को डिजिटल स्वरूप प्रदान किया जायेगा

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सियासत के फेर में उर्दू बेदार
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February 19, 2016

इलाहाबाद : जिस मुल्क में हम रहते है उसमें 5 करोड़ 15 लाख 36 हजार 111 लोग उर्दू के जानकार हैं जो रोजाना जिन्दगी में उर्दू बोलते या लिखते हैं| इस मुल्क के 6 सूबों में उर्दू को सरकारी जुबान का दर्जा भी दे दिया गया है। बावजूद इसके आज मुल्क में इस भाषा का सूरत-ए-हाल उर्दू पसंद लोगों की आँखें खोलने वाला है|

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दलित छात्र की खुदकुशी के बाद दलित विमर्श का ‘कफ़न’
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February 6, 2016

देश के एक कोने में जहां एक दलित छात्र की खुदकुशी पर सियासी विमर्श का ज्वारभाटा अपने चरम पर है वहीं शहर में एक शाम दलितों के दर्द को बयान करने वाली प्रेमचंद की अमर रचना ‘कफन’ के नौटंकी शैली में मंचन के नाम रही| इलाहाबाद के उत्तर मध्य सांस्कृतिक केंद्र का जो ऑडिटोरियम बड़ी हस्तियों की मौजूदगी में भी भर नहीं पाता वह ‘कफ़न’ की प्रस्तुति के दौरान खचाखच भरा था|

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अस्सी पर सुबह-ए-बनारस
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January 30, 2016

दशाश्वमेध घाट और गंगा आरती के विहंगम और मनमोहक दृश्यों वाली काशी आखिर अचानक अपनी खालिस देसी गालियों के लिए खबरों में कैसे आ गई? दशाश्वमेध और अस्सी के बीच का फ़ासला बमुश्किल पांच किलोमीटर का होगा लेकिन यहां तक आते आते पूरी की पूरी संस्कृति आखिर कैसे बदल जाती है? गंगा भी वही है, गंदगी भी वैसी ही है लेकिन अल्हड़ और मस्त अंदाज़ के साथ साहित्य और संस्कृति का अनोखा मेल आखिर अस्सी पर ही क्य

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दिल्ली फिल्म फेस्टिवल में दिखीं 210 फिल्में
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December 11, 2015

चौथा दिल्ली अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह 10 दिसम्बर को खत्म हो गया। बेहतरीन बांग्ला अभिनेत्री रितुपर्णो सेन की मौजूदगी के अलावा मशहूर रंगकर्मी अरविंद गौड़ और देश विदेश के तमाम फिल्मकारों ने समारोह को कामयाब बना दिया । फिल्म समारोह में 69 देशों की 210 फिल्में दिखाई गईं। इस दौरान फिल्म के तमाम पहलुओं पर चर्चा हुई।

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विश्व सहिष्णुता दिवस के पहले मोदी पर सहिष्णु होते महेश भट्ट
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November 16, 2015

विश्व सहिष्णुता दिवस पर पूरी दुनिया में सहिष्णुता की चर्चा में भारत में सहिष्णुता पर छिड़ी जंग सुर्खियाँ बने इसके पहले बालीवुड फिल्मों के प्रयोगधर्मी निर्देशक महेश भट्ट जरुर कुछ सहिष्णु होने की कोशिश कर रहे हैं| विदेश की धरती पर असहिष्णुता पर पीएम मोदी के बयान का हिंदी फिल्म डायरेक्टर महेश भट्ट ने अपने ही अंदाज में स्वागत किया है|

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गंभीर बहस पर सवाल उठाती मृणाल सेन की गैरहाजिरी
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November 15, 2015

देश का दूसरा सबसे बड़ा फिल्म समारोह कोलकाता फिल्म फेस्टिवल असहिष्णुता अौर आतंकवाद को लेकर बहस के बीच शुरू हुअा। 14 नवंबर को समारोह का उद्घाटन अमिताभ बच्चन ने किया। अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, रानी मुखर्जी समेत मुंबई से कई सितारों का जमघट कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में दिखा, जहां समारोह आयोजित किया गया था।

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