Month: October 2017
मिनिएचर कैंप में कला के कई आयाम…
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October 26, 2017

लघु चित्रकलाएं उन कलाओं में से एक है जिनका सीधा सम्बन्ध हमारी लोक कला और संस्कृति से है। लघुचित्र कलाएँ भारत की धरोहर रही हैं चाहे वो राजस्थानी हो, कांगड़ा हो या पहाड़ी। लघु चित्रकला भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो सदियों से हमारी सांस्कृतिक विरासत को अपने में संजोये हुए है।

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क्या आपको बाइस्कोप की याद है?
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October 25, 2017

सत्तर और अस्सी के दशक तक गांव -गांव 'बाइस्कोप' वाले खूब दिखते थे और उनके पूरे परिवार का पेट इसकी कमाई से चल जाता था । कालान्तर में टीवी, इंटरनेट, डीवीडी - सीडी , मोबाइल फोन आदि ने 'बाइस्कोप' का क्रेज प्रायः खत्म ही कर दिया। ' बाइस्कोप ' वालों ने शहर छोड़ दूर - दराज गांवों का रुख करना शुरू किया, लेकिन वहां भी उन्हें देखने वाले मुश्किल से मिलते हैं।

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मीडिया और सोशल मीडिया पर अप्पा को नमन…
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October 25, 2017

तमाम अखबार, सोशल मीडिया और टेलीविज़न चैनल ठुमरी साम्राज्ञी और बनारस घराने की अभूतपूर्व शख्सियत गिरिजा देवी को अपने अपने तरीके से श्रद्धांजलि दे रहे हैं... हर कोई इस महान गायिका की तमाम यादों और मन में बस जाने की उनकी गायन शैली के बारे में अपनी भावनाएं अभिव्यक्त कर रहा है... सोशल मीडिया के कुछ साथियों की पोस्ट हम आपको पढ़वाते हैं.. साथ ही अमर उजाला का वो शानदार पेज भी आपके लिए लाए हैं जो

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अपने संस्कार और संस्कृति को कभी मत छोड़िए – गिरिजा देवी
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October 25, 2017

आज पैसा कमाना लोगों की जरूरत है, लेकिन बस यह समझिए कि जैसे आप रोज-रोज बर्गर खाकर जिंदा नहीं रह सकते, क्योंकि जिंदा रहने के लिए चावल-दाल खाना पड़ता है, जिसे खाकर हम पले-बढ़े हैं। वैसे ही, भले ही आज हजार जगहों के साहित्य आ गए हों, हजार जगहों के संगीत आ गए हों, लेकिन हमें अपनी संस्कृति नहीं छोड़नी चाहिए। उनकी अच्छी चीजें ले लीजिए, लेकिन अपने संस्कार, अपनी संस्कृति को कभी मत छोडि़ए।

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सूना हो गया बनारस घराना…
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October 25, 2017

बनारस घराना आज एकदम सूना हो गया। ठुमरी, दादरा और उपशास्त्रीय गायन की तमाम शैलियों की महारानी गिरिजा देवी का जाना एक गहरे आघात जैसा है। उनकी जीवंतता, उनकी आवाज़ और व्यक्तित्व की सरलता किसी को भी अपना बना लेने वाली रही है। वो हमारे घर की एक ऐसे बुज़ुर्ग की तरह लगती थीं मानो उनसे हमारी कई कई पीढ़ियों को बहुत कुछ सीखना हो। आवाज़ की वो गहराई, जहां ठुमरी एक नई परिभाषा के साथ आपके भीतर तक उतर

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ये ‘स्वच्छता अभियान’ सफ़ाई है या सफ़ाया…
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October 23, 2017

अमर उजाला  की अनोखी साहित्यिक पहल ‘बैठक’ की  ‘जुगलबंदी‘ इस बार नामवर सिंह और हिन्दी के विद्वान लेखक और शिक्षाविद् विश्वनाथ त्रिपाठी के बीच हुई। नामवर सिंह और विश्वनाथ त्रिपाठी ने अमर उजाला टीम के साथ अपने ढेर सारे अनुभव बांटे, आलोचकों की परंपरा को अपने अपने नज़रिये से देखा, वामपंथ के साथ साथ दक्षिणपंथ के मौजूदा स्वरूप पर चर्चा की, लेखकों के सम्मान वापसी पर राय जाहिर की।

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देर तक जलने वाली रोशनी की तरह…
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October 22, 2017

अंगोछे को कंधे पर धरे हुए,अपनी चीजों, अपने पेड़ पौधों, पालतू जानवरों और अपने परिजनों की सुबह-शाम से घिरे हुए, हलधर नाग के होने का मतलब सिर्फ याद है। उडीसा के इस कवि की याद में कभी कोई चूक नहीं होती। उनका बीत चुका समय उनकी स्मृति में एकत्र होता रहता है और अक्सर कविता के रूप में बाहर आता है। पड़ोस और परिवेश का नमक जुबान पर इस कदर लगा हुआ है कि घर नहीं छोड़ते।

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बीएचयू और लखनऊ में प्रेमचंद की कहानियां
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October 14, 2017

आंदोलन की लम्बी गहमागहमी और बंदी के सन्नाटे से उबरने के बाद बीएचयू ताज़ा-ताज़ा खुला ही था जब हम वहां पहुंचे। 8 अक्टूबर, प्रेमचंद की पुण्यतिथि का दिन। वहां अपने कार्यक्रम 'कथावाचन' में हमें प्रेमचंद की 3 कहानियों की प्रस्तुति देनी थी। रविवार होने के चलते रंगलीला की पूरी 'कथावाचन' रंगमंडली को शुबहा था कि दर्शक और श्रोता आएंगे भी या यहाँ साढ़े पांच सौ किमी० से भी ज़्यादा दूरी तक आने की हमारी

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इस हवेली की दर-ओ-दीवार के रंग को पहचानिए…
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October 14, 2017

ज़िंदगी के महज 28 सालों में कोई कितना कुछ कर सकता है, कितनी उपलब्धियां हासिल कर सकता है और कौन सा मुकाम हासिल कर सकता है... यह जानना है तो महान पेंटर और भारतीय कला को एक नया आयाम देकर अमर हो जाने वाली अमृता शेर गिल को याद कीजिए। भारतीय कला की जब भी बात होती है, राजा रवि वर्मा को तो सब याद करते ही हैं लेकिन आधुनिक भारतीय कला की जनक के तौर पर अगर किसी का नाम लिया जाता है तो वह अमृता शेरगिल हैं।

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जहां ग़म भी न हो, आंसू भी न हो…
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October 13, 2017

एक ऐसी दुनिया की कल्पना, एक ऐसे खुशनुमा समाज का सपना और हर तरफ प्यार ही प्यार की तमन्ना लिए 58 साल की उम्र में किशोर दा ने बेशक सबको अलविदा कह दिया हो, लेकिन वो हमेशा सबके बीच हैं... उसी तरन्नुम में, उसी अंदाज़ में और अपने उन्हीं खूसूरत सपनों के साथ....  उनके बड़े भाई अशोक कुमार ने उन्हें इस लायक बनाया, उनकी प्रतिभा को मंच दिया, तमाम मौके दिए और किशोर को किशोर बनाया... संयोग देखिए दादा मुनि  के ज

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