त्रिलोचन जी को याद करना एक पूरे युग को याद करने जैसा है। उनका विशाल रचना संसार और बेहद सरल व्यक्तित्व अब आपको कहीं नहीं मिलेगा। उनकी कविताओं को, उनकी रचना यात्रा को और उनके साथ बिताए गए कुछ बेहतरीन पलों को साझा करना शायद बहुत से लोग चाहें, लेकिन बदलते दौर में, नए सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में और साहित्यिक जमात की खेमेबाजी में त्रिलोचन आज भी हाशिए पर हैं। उनकी जन्म शताब्दि की औपचारि
त्रिलोचन जी को गए भले ही नौ साल गुज़र गए हों लेकिन आज भी यही लगता है कि वो हमारे बीच ही हैं। उनके साथ जिन लोगों ने वक्त गुज़ारा, जिन लोगों ने उन्हें करीब से देखा और महसूस किया, उनके लिए वो हमेशा रहेंगे। अपनी कविताओं के साथ साथ अपने बेहद सरल और आत्मीय व्यक्तित्व की वजह से। ये हमारे साहित्य जगत का दुर्भाग्य है कि जो लोग...