...सन १९८४ में मुझे उनके साथ कुछ दिन बिताने का सौभाग्य मिला था। मैं 'पृथ्वी थियेटर' संदर्भित शोध पत्र तैयार कर रहा था ...हम रोज़ 'कौशल्या कोटेज'में मिलते थे जहाँ शशि कपूर जी की शूटिंग चल रही थे ...उनके साथ तनुजा और नीलू फूले भी दृश्यों में थे ....
पृथ्वी थियेटर ,मुंबई महानगर के उपनगर , जुहू में एक ऐसा मुकाम है जहां बहुत सारे लोगों ने अपने सपनों को रंग दिया है .यह थियेटर अपने पिता स्व पृथ्वीराज कपूर की याद में शशि कपूर और उनकी पत्नी जेनिफर कपूर से बनवाया था. शशि कपूर अपने परिवार में एक अलग तरह के इंसान थे .उनकी मृत्यु की खबर सुनकर उनके गैरफिल्मी काम की याद आ गयी जो दुनिया भर में नाटक की राजधानी के रूप में जाना जाता है .