पद्म विभूषण से सम्मानित प्रसिद्ध चित्रकार सैयद हैदर रज़ा का अपने जीवन पर गांधी जी का इतना प्रभाव पड़ा था कि विभाजन के बाद वह पाकिस्तान न जाकर भारत में ही रह गए थे जबकि उनकी पहली पत्नी पाकिस्तान में जाकर बस गयी थी। हिंदी के प्रसिद्ध कवि एवं संस्कृति कर्मी अशोक वाजपेयी ने यहां रज़ा पर अपनी पुस्तक सेलिब्रेशन एंड प्रेयर के विमोचन समारोह में यह बात कही। उन्होंने कहा कि एक बार मैंने
आपको जानकर ताज्ज़ुब होगा कि आजादी के बाद प्रगतिशील लेखक संघ के पहले सम्मेलन में विभाजन के खिलाफ कोई निंदा प्रस्ताव पेश नहीं किया गया था। प्रसिद्ध आलोचक और मीडिया के जानकार जगदीश्वर ने रज़ा फाउंडेशन की ओर से आयोजित युवा कार्यक्रम में यह सनसनीखेज़ जानकारी दी। कृष्णा सोबती की जन्मशती पर आयोजित इस समारोह में उन्होंने विभाजन और सोबती जी के लेखन विषय पर एक पर्यवेक्षक के रूप में टिप्
'कल्चरल कोलैप्स' यानी सांस्कृतिक पतन पर केन्द्रित रज़ा फाउंडेशन की गोष्ठी पिछले दिनों दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में हुई। इस बारे में कवि मिथिलेश श्रीवास्तव ने क्या महसूस किया इसपर उन्होंने अपने फेसबुक पर कुछ इस अंदाज़ में लिखा।