अंगोछे को कंधे पर धरे हुए,अपनी चीजों, अपने पेड़ पौधों, पालतू जानवरों और अपने परिजनों की सुबह-शाम से घिरे हुए, हलधर नाग के होने का मतलब सिर्फ याद है। उडीसा के इस कवि की याद में कभी कोई चूक नहीं होती। उनका बीत चुका समय उनकी स्मृति में एकत्र होता रहता है और अक्सर कविता के रूप में बाहर आता है। पड़ोस और परिवेश का नमक जुबान पर इस कदर लगा हुआ है कि घर नहीं छोड़ते।
क्या आपने पत्ताचित्र के बारे में सुना है। चित्रकारी और हस्तशिल्प की तमाम शैलियों और परंपराओं की एक अहम पहचान है यह कला। ओड़िसा की सबसे पुरानी और लोकप्रिय कला शैलियों में से एक पत्ताचित्र शैली की इस चित्रकारी में बेहद चटकीले रंगों का इस्तेमाल होता है और कई पौराणिक कथाएं और उसके पात्र इसमें आकार लेते हैं।