ज़रा सी है, फिर भी है ज़िंदगी
7 Rang
March 22, 2022

पिछले लगभग दो साल हिंदी और भारतीय रंगमंच  `न होने’ का काल है।  यानी नाटक नहीं हुए, रिहर्सल नहीं हए और रंगकर्मी कुछ न करने के लिए अभिशप्त हुए। अब जाकर कुछ नाटक हो रहे हैं पर रंगमंच की दुनिया अभी भी उजाड़ है। ऐसे में बरेली में `जिंदगी जरा सी है’ का मंचन  एक ताजा हवा की तरह भी है और अभी के दौर को समझने की कोशिश भी।

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