भारत रंग महोत्सव के दूसरे दिन लोकरंग कार्यक्रम में संजय उपाध्याय के निर्देशन में नाटक बिदेसिया का 856 वीं बार मंचन किया गया। इस दौरान दर्शकों ने तालियों और सीटियों से समां बांध दिया। एनएसडी के मुक्ताकाश मंच पर शाम सात बजे इस नाटक को देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी। इसका एक कारण तो यह भी रहा होगा कि यह नाटक निःशुल्क था पर इस नाटक की अपार सफलता से कुछ सवाल भी उठे। वरिष्ठ पत्रकार लेखक अरविंद कु
ब से भारत रंग महोत्सव (भारंगम) शुरु हुआ है रंगकर्मियों और रंग संस्थाओं के लिए एक बड़े और प्रतिष्ठित मंच पर खुद को अभिव्यक्त करने का मौका मिलने लगा। पच्चीस साल हो गए। 1999 में जब इसकी शुरुआत हुई तो एनएसडी के निदेशक थे रामगोपाल बजाज। पहले भारंगम में गिरीश कर्नाड के नाटक नागमंडल खेला गया था अमाल अल्लाना के निर्देशन में। इसके अलावा भी कई अन्य चर्चित नाटक। इन पच्चीस सालों में अब भारंगम का स
रंगमंच की दुनिया में नए नए प्रयोगों और कई नए नाटकों के मंचन के साथ 20वां भारत रंग महोत्सव खत्म हो गया। कथक की पाठशाला कहे जाने वाले पद्मविभूषण पंडित बिरजू महाराज को इस मौके पर सुनना एक अनुभव था। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से अपने गहरे जुड़ाव और तमाम नृत्यशैलियों के साथ नाटकों की प्रस्तुतियों के बारे में पंडित बिरजू महाराज से बेहतर भला कौन बोल सकता है। आखिरी दिन कमानी सभागार में पंडि