एक दौर था जब "जो दिखता है, वो बिकता है" जुमला भारतीय राजनीति और मीडिया के ताल्लुकों का पैमाना हुआ करता था। बीते दो दशकों में मीडिया, खासकर खबरिया चैनल्स की कार्यशैली में आमूलचूल परिवर्तन आया है। अधिकांश मीडिया घरानों और खबरिया चैनल्स ने पेशेवर रुख अख्तियार कर लिया है। शायद उसी का नतीजा है कि उपरोक्त जुमला बदल कर यूं हो गया है -"जो बिकता है, वही दिखता है।"