अस्मिता थिएटर ग्रुप के संस्थापक और मशहूर रंगकर्मी अरविंद गौड़ ने गिरीश कर्नाड को काफी करीब से जाना, महसूस किया और उन्हें जिया है। कर्नाड के नाटकों को अरविंद ने अपने कम संसाधनों के बावजूद एक बड़ा आयाम दिया और अपनी कला दृष्टि के विकास में गिरीश कर्नाड की अहम भूमिका मानते हैं। गिरीश कर्नाड का जाना बेशक रंगमंच की दुनिया के लिए एक बड़ी क्षति है। खासकर इसलिए भी कि कर्नाड महज एक नाटककार न
साहित्य कला परिषद के आगामी नाट्य समारोहों के लिए कलाकारों से जो प्रविष्ठियां मांगी गई हैं, उनकी शर्तें अगर पढ़िए तो साफ लगेगा कि अब सरकार कंटेंट अपने मतलब का चाहती है, स्क्रिप्ट वैसा ही चाहिए जो सरकार की नीतियों की तारीफ करे। इसके खिलाफ दिल्ली के युवा रंगकर्मियों में असंतोष है। मशहूर रंगकर्मी, निर्देशक और जन सरोकारों से जुड़े मुद्दों पर नाटक करने वाली संस्था अस्मिता के संस्थापक
रंगमंच को आम जनता से जोड़ने और जनरोकारों से जुड़े मुद्दों को नुक्कड़ नाटकों के ज़रिये एक आंदोलन बना देने वाले अस्मिता थिएटर ग्रुप ने अपने 25 साल पूरे कर लिए हैं। इस लंबे सफर के दौरान कई तरह की चुनौतियों से रू ब रू होते हुए अपनी एक अलग पहचान बना चुकी अस्मिता के कलाकार इस वक्त देश भर में फैले हैं और फिल्मों में भी अपनी पहचान बना चुके हैं।