तुम भी बैठ जाओ किसी की ‘गोदी’ में…
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June 21, 2020

"अजी सुनते हो... पूरी दुनिया के दफ्तर खुल गए... मुए एक तुम्हारे दफ्तर को ही आग लगी है... कुछ तो शर्म करो... घर से ऑफिस कब तक चलाओगे... अब तो कामवाली से लेकर अड़ोसन-पड़ोसन भी पूछने लगी हैं... बड़े सूरमा बने फिरते हो... सोसाइटी में भी डरपोक का खिताब मिलने वाला है..."   श्रीमती जी के प्रवचन हरि कथा की तरह अनंत होते जा रहे थे। इस निरीह प्राणी की बुद्धि में सुबह-सुबह श्रीमती जी के प्रवचनों की कोई वजह फिट नही

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