अशोक वाजपेयी ने अपना 84 वाँ जन्मदिन मनाया। जब राजेन्द्र यादव 80 वर्ष के हुए थे तो उन्होंने उनक़ा जन्मदिन भी मनाया था यद्यपि उनसे उनकी नोक झोंक चलती रहती थी। क्या अशोक जी आत्म प्रदर्शन के लिए जन्म दिन मनाते हैं या हिंदी साहित्य में एक जीवंत माहौल बनाने के लिए मनाते हैं? क्या वह ऐसा कर लेखकों को एक सूत्र में बांधते हैं?