ब से भारत रंग महोत्सव (भारंगम) शुरु हुआ है रंगकर्मियों और रंग संस्थाओं के लिए एक बड़े और प्रतिष्ठित मंच पर खुद को अभिव्यक्त करने का मौका मिलने लगा। पच्चीस साल हो गए। 1999 में जब इसकी शुरुआत हुई तो एनएसडी के निदेशक थे रामगोपाल बजाज। पहले भारंगम में गिरीश कर्नाड के नाटक नागमंडल खेला गया था अमाल अल्लाना के निर्देशन में। इसके अलावा भी कई अन्य चर्चित नाटक। इन पच्चीस सालों में अब भारंगम का स
जाने माने रंगकर्मी और नाटकों के शिल्प से लेकर कथ्य तक को बेहद समृद्ध करने वाले हबीब तनवीर की याद में हर साल दिए जाने वाले कारवां-ए-हबीब सम्मान इस साल मशहूर नाट्य समीक्षक और लेखक डॉ जयदेव तनेजा को दिया जाएगा। सत्तर और अस्सी के दशक से लेकर अबतक जयदेव तनेजा ने रंगकर्म के क्षेत्र में जबरदस्त काम किया है और उनके लेख और नाट्य समीक्षाएं जनसत्ता, नवभारत टाइम्स समेत देश के तमाम प्रतिष्ठित अ
जो आपके सपनों का राजकुमार हो, उससे आप राजकुमारी न होकर किसी और रूप में रूबरू हों ऐसा ही मेरे साथ तब हुआ जब मैंने पहली बार हबीब तनवीर से मुलाक़ात की। हबीब तनवीर का पहला नाटक 'चरणदास चोर' मैंने सन 76 में आगरा के सर्किट हाउस मैदान में चल रहे 'आगरा बाजार' में देखा था। बंसी कौल की वर्कशॉप से ट्रेनिंग लेकर मैं हाल ही में 'अमेचर' रंगकर्मी बना था। मैंने हबीब साहब के नाटक को देखा और छत्तीसगढ़ी लोक 'नाच