जानी मानी कथाकार और उपन्यासकार कृष्णा सोबती की जन्मशती बेशक फरवरी 2025 से शुरु हो रही हो, लेकिन साहित्य अकादमी ने 19 और 20 दिसंबर को दो दिनों तक उनकी पूरी साहित्यिक यात्रा पर गंभीर आयोजन किया। इस संगोष्ठी में कृष्णा सोबती के व्यक्तित्व के तमाम पहलुओं के साथ उनके लेखन के तमाम आयामों पर चर्चा हुई।
अपने ज़माने के मशहूर सांस्कृतिक हस्ताक्षर रहे जाने माने यायावर लेखक राहुल सांकृत्यायन के उपन्यास ‘वोल्गा से गंगा तक’ जिसने भी पढ़ा होगा, उसके लिए भारतीय इतिहास में ब्राह्मणवाद के तमाम ढकोसलों को समझना आसान है। राहुल जी ने यह उपन्यास 1943 में लिखा था। साहित्य अकादमी सभागार में 28 अप्रैल को मशहूर स्तंभकार और लेखक कमलाकांत त्रिपाठी की किताब ‘सरयू से गंगा’ पर चर्चा के दौरान राहुल सांक