दिव्यांग लेखकों के काव्य पाठ और कहांनी पाठ के साथ ही एशिया के सबसे बड़े साहित्योत्सव का शानदार समापन हुआ। 7 दिनों तक चले इस उत्सव के अंतिम दिन हुए पंद्रह सत्रों में से एक में 10 भाषाओं के दिव्यांग लेखकों ने विनोद आसुदानी एवं अरविंद पी. भाटीकर की अध्यक्षता में काव्य-पाठ एवं कहानी पाठ प्रस्तुत किया।