अगर आज साहित्यकार और राजनेता डॉ शैलेन्द्र नाथ श्रीवास्तव होते तो शायद संस्कृति और राजनीति के मौजूदा स्वरूप में कुछ न कुछ नया और सकारात्मक ज़रूर होता। जिस तरह उन्होंने साहित्य, भाषा और संस्कृति को समृद्ध करने में बेहद सरलता और मज़बूती के साथ अपना योगदान दिया, वैसा आज के राजनेताओं के लिए मुश्किल है। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी डा शैलेंद्र नाथ श्रीवास्तव एक शिक्षाविद होने के नाते ह