रज़ा की आधुनिकता वैकल्पिक आधुनिकता थी – अशोक वाजपेयी
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March 12, 2025

पद्म  विभूषण से सम्मानित प्रसिद्ध चित्रकार सैयद हैदर रज़ा का अपने जीवन पर गांधी जी का इतना प्रभाव पड़ा था कि  विभाजन के बाद वह पाकिस्तान न  जाकर भारत में ही  रह गए थे जबकि उनकी पहली पत्नी पाकिस्तान में जाकर बस गयी थी। हिंदी के प्रसिद्ध कवि एवं संस्कृति कर्मी अशोक वाजपेयी ने यहां रज़ा पर अपनी पुस्तक सेलिब्रेशन एंड प्रेयर  के विमोचन समारोह में यह बात कही। उन्होंने कहा कि एक बार मैंने

जब गंगूबाई हंगल ने एचएमवी को मुफ्त में अपना गाना दिया…
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February 27, 2025

युवा लेखन में पहले से कहीं ज्यादा गंभीरता दिखती है – वाजपेयी
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February 21, 2025

मशहूर कवि, लेखक और  संस्कृतिकर्मी  अशोक वाजपेयी ने कहा है कि इस बार युवा कार्यक्रम में महिला वक्ताओं ने ज्यादा अच्छा प्रदर्शन किया है और उन्होंने पुरुषों को पीछे छोड़ दिया है। वाजपेयी ने रज़ा फाउंडेशन की ओर से आयोजित युवा कार्यक्रम के तहत हिंदी की यशस्वी लेखिका कृष्णा सोबती के  जन्मशती समारोह  के मौके पर यह बात कही।

आसपास – कथाकार कृष्णा सोबती क्यों थीं खास
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February 19, 2025

7 रंग रेडियो का खास कार्यक्रम आसपास। कृष्णा सोबती पर दिल्ली में दो दिनों के कार्यक्रम में क्या हुआ खास। रज़ा फाउंडेशन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में क्या कहा अशोक वाजपेयी ने।

‘युवा’: कृष्णा सोबती के योगदान पर सार्थक चर्चा
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February 19, 2025

हिंदी की यशस्वी लेखिका कृष्णा सोबती क्या उभय लिंगी लेखिका थी? क्या उनकी भाषा राजनीतिक भाषा थी और उनकी लेखकीय दृष्टि और औपन्यासिक दृष्टि में कोई फांक थी? कृष्णा सोबती की जन्मशती के मौके पर रज़ा फाउंडेशन की ओर से आयोजित युवा समारोह में इन सवालों पर आरंभिक दो सत्रों में विचार हुआ।

‘भूली बिसरी गायिकाओं को तवायफ़ कहना बन्द करें’
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December 9, 2024

आज से 115 साल पहले स्त्री दर्पण पत्रिका निकालकर  स्त्री आंदोलन शुरू करने वाली संपादक रामेश्वरी नेहरू ने केवल सार्थक पत्रकारिता ही नहीं की हरिजनों और विभाजन के समय दंगा पीड़ितों की भी सेवा की। उस ज़माने में हिंदुस्तानी मौसिकी को बुलंदियों पर ले जानेवाली तवायफ़ गायिकाओं ने भी न केवल आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लिया बल्कि  राष्ट्रनिर्माण में भी अहम भूमिका अदा की।

सत्ता का सांस्कृतिक हमला: रज़ा फाउंडेशन की चिंता
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November 21, 2022

'कल्चरल कोलैप्स' यानी सांस्कृतिक पतन पर केन्द्रित रज़ा फाउंडेशन की गोष्ठी पिछले दिनों दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में हुई। इस बारे में कवि मिथिलेश श्रीवास्तव ने क्या महसूस किया इसपर उन्होंने अपने फेसबुक पर कुछ इस अंदाज़ में लिखा।

रज़ा और उनके सहयात्री कलाकार
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July 12, 2019

किसी बड़े कलाकार के अवदान के मूल्यांकन के लिए उसके संपूर्ण कलाकर्म को ध्यान में रखना जरूरी होता है। लेकिन सिर्फ इतने से ही बात नही बनती। ये भी देखना चाहिए कि उसका अपने सहकर्मी कलाकारों से कैसा संबंध रहा। कला एकांत साधना है पर साथ ही सामूहिक कर्म भी है। जब कोई कलाकार- लेखक और संगीतकार भी- किसी दौर में सक्रिय होता हैं तो उसी दौर में उसके कुछ सहयोगी भी सक्रिय रहते हैं जिनसे उसका संवाद भ�

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