‘बारादरी’ हिंदुस्तानी तहजीब की नई इबारत लिख रही है: इकबाल अशहर
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December 9, 2024

"बारादरी" की सदारत करते हुए मशहूर शायर इकबाल अशहर ने कहा कि बारादरी हिंदुस्तानी संस्कृति की नई इबारत लिख रही है। अपने अशआर पर जमकर दाद बटोरते हुए उन्होंने फरमाया "हमको हमारे सब्र का खूब सिला दिया गया, यानी दवा दी न गई दर्द बढ़ा दिया गया। उनकी मुराद है यही खत्म न हो ये तीरगी, जिसने जरा बढ़ा दी लौ, उसको बुझा दिया गया। अहल ए सितम को रात फिर दावत ए रक्स दी गई, और बराए रोशनी शहर जला दिया गया।

आत्ममुग्धता लेखन में ठहराव उत्पन्न करती है : डॉ. कीर्ति काले 
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August 6, 2024

गाज़ियाबाद में साहित्य की महफिलों का अब लगातार रंग जमने लगा है। हर महीने कथा संवाद और महफ़िल-ए-बारादरी का जो सिलसिला शुरु हुआ है उसमें देश भर के नामचीन लेखक, कवि, शायर और गीतकार निरंतर शामिल हो रहे हैं। यह कोशिश पुरानी के साथ साथ नई पीढ़ी में साहित्य के प्रति गहरी अभिरुचि पैदा करने के साथ उनमें लिखने पढ़ने की आदत डालने, एक बेहतर सामाजिक दृष्टि विकसित करने की दिशा में एक जरूरी और उल्ल

मोहल्ले बंट रहे हैं मजहबों में, किसे बस्ती बसाने की पड़ी है
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May 10, 2022

गाजियाबाद में धीरे धीरे महफ़िल-ए-बारादरी का रंग जमने लगा है। कुछ ही महीनों में तमाम शायरों के लिए इस मंच ने अपनी खास जगह बना ली है। अब इस बार यानी मई की महफ़िल-ए-बारादरी की बात करें तो इसमें आपसी प्रेम और सदभाव के साथ संवेदनाओं से भरी पंक्तियों के कई रंग बिखरे। ज्यादातर शायरों और कवियों ने प्रेम जैसे शाश्वत सत्य और इंसानियत को अपनी पंक्तियों में बेहद भावपूर्ण अंदाज़ में पिरोया।

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