साहित्योत्सव के पांचवे दिन हिंदी के प्रख्यात लेखक एवम नाटककार मोहन राकेश को उनकी जन्मशताब्दी पर याद किया गया और सवाल उठा कि क्या उनकी रचनाओं का मूल्यांकन उनके जीवन की घटनाओं के आधार पर होना चाहिए या उनके लिखे पर ? सवाल यह भी उठा कि क्या वे अपनी रचनाओं में स्त्री विरोधी थे?