12 मई 1993 को जब शमशेर बहादुर सिंह के निधन की खबर अहमदाबाद से आई थी, तब अचानक उनके साथ गुज़रे वो सारे पल हमारे दिलो दिमाग में एक सुखद अतीत की तरह उमड़ने घुमड़ने लगे थे। लखनऊ की पेपरमिल कॉलोनी में पत्रकार अजय सिंह और शोभा सिंह के घर शमशेर जी अक्सर आते और ठहरते रहे। वामपंथी आंदोलनों का दौर था, राजनीतिक-सांस्कृतिक गतिविधियां तेज़ थीं और शमशेर जी जैसे तमाम प्रगतिशील रचनाकार हमारी ताकत हुआ कर