गाज़ियाबाद में साहित्य की महफिलों का अब लगातार रंग जमने लगा है। हर महीने कथा संवाद और महफ़िल-ए-बारादरी का जो सिलसिला शुरु हुआ है उसमें देश भर के नामचीन लेखक, कवि, शायर और गीतकार निरंतर शामिल हो रहे हैं। यह कोशिश पुरानी के साथ साथ नई पीढ़ी में साहित्य के प्रति गहरी अभिरुचि पैदा करने के साथ उनमें लिखने पढ़ने की आदत डालने, एक बेहतर सामाजिक दृष्टि विकसित करने की दिशा में एक जरूरी और उल्ल
वरिष्ठ कथाकार ममता कालिया का कहना है कि हम एक कठिन दौर से गुजर रहे हैं। सूचना का यह दौर हमारी सोच और संवेदनशीलता पर निरंतर आघात कर रहा है। इनके अविराम आदान-प्रदान से लगता है कि पूरा देश ही कुरुक्षेत्र बना हुआ है। हर एक अपने-अपने तरीके से महाभारत से जूझ रहा है। ऐसे दौर में "शब्द" ही रक्षा कवच का काम करता है।