उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 144 साल बाद हो रहे महाकुंम्भ में "भारंगम" (भारतीय रंग महोत्सव) के एक नाटक ने लोगों का दिल जीत लिया। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के निदेशक चितरंजन त्रिपाठी द्वारा निर्देशित नाटक "समुद्रमंथन " पिछले दिनों देश विदेश से आये लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा।गत वर्ष भारंगम का उद्घटान इसी नाटक से हुआ था।
ब से भारत रंग महोत्सव (भारंगम) शुरु हुआ है रंगकर्मियों और रंग संस्थाओं के लिए एक बड़े और प्रतिष्ठित मंच पर खुद को अभिव्यक्त करने का मौका मिलने लगा। पच्चीस साल हो गए। 1999 में जब इसकी शुरुआत हुई तो एनएसडी के निदेशक थे रामगोपाल बजाज। पहले भारंगम में गिरीश कर्नाड के नाटक नागमंडल खेला गया था अमाल अल्लाना के निर्देशन में। इसके अलावा भी कई अन्य चर्चित नाटक। इन पच्चीस सालों में अब भारंगम का स
भोपाल के विहान ड्रामा वर्क्स के हाउसफुल प्रोडक्शन- टोटो चान के साथ, बच्चों के अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच उत्सव जश्नेबचपन का 14वां संस्करण आज यहां संपन्न हो गया। बच्चों के लिए सर्वश्रेष्ठ रंगमंच के इस नौ-दिवसीय नाट्य उत्सव की शुरुआत जावा के एक संगीतमय नाटक- सूखा पत्ता से हुई थी, जिसमें जीवन की विभिन्न जटिलताओं के बारे में बताया गया था।