वरिष्ठ कथाकार ममता कालिया का कहना है कि हम एक कठिन दौर से गुजर रहे हैं। सूचना का यह दौर हमारी सोच और संवेदनशीलता पर निरंतर आघात कर रहा है। इनके अविराम आदान-प्रदान से लगता है कि पूरा देश ही कुरुक्षेत्र बना हुआ है। हर एक अपने-अपने तरीके से महाभारत से जूझ रहा है। ऐसे दौर में "शब्द" ही रक्षा कवच का काम करता है।