पद्म विभूषण से सम्मानित प्रसिद्ध चित्रकार सैयद हैदर रज़ा का अपने जीवन पर गांधी जी का इतना प्रभाव पड़ा था कि विभाजन के बाद वह पाकिस्तान न जाकर भारत में ही रह गए थे जबकि उनकी पहली पत्नी पाकिस्तान में जाकर बस गयी थी। हिंदी के प्रसिद्ध कवि एवं संस्कृति कर्मी अशोक वाजपेयी ने यहां रज़ा पर अपनी पुस्तक सेलिब्रेशन एंड प्रेयर के विमोचन समारोह में यह बात कही। उन्होंने कहा कि एक बार मैंने
मशहूर कवि, लेखक और संस्कृतिकर्मी अशोक वाजपेयी ने कहा है कि इस बार युवा कार्यक्रम में महिला वक्ताओं ने ज्यादा अच्छा प्रदर्शन किया है और उन्होंने पुरुषों को पीछे छोड़ दिया है। वाजपेयी ने रज़ा फाउंडेशन की ओर से आयोजित युवा कार्यक्रम के तहत हिंदी की यशस्वी लेखिका कृष्णा सोबती के जन्मशती समारोह के मौके पर यह बात कही।
7 रंग रेडियो का खास कार्यक्रम आसपास। कृष्णा सोबती पर दिल्ली में दो दिनों के कार्यक्रम में क्या हुआ खास। रज़ा फाउंडेशन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में क्या कहा अशोक वाजपेयी ने।
हिंदी की यशस्वी लेखिका कृष्णा सोबती क्या उभय लिंगी लेखिका थी? क्या उनकी भाषा राजनीतिक भाषा थी और उनकी लेखकीय दृष्टि और औपन्यासिक दृष्टि में कोई फांक थी? कृष्णा सोबती की जन्मशती के मौके पर रज़ा फाउंडेशन की ओर से आयोजित युवा समारोह में इन सवालों पर आरंभिक दो सत्रों में विचार हुआ।
द्मविभूषण से सम्मानित महान चित्रकार सैयद हैदर रज़ा इतने नैतिक व्यक्ति थे कि वे अपने उस मकान में किरायेदार की तरह रहते थे जिसे उन्होंने अपने नाम पर बने फाउंडेशन को दे दिया था। यह जानकारी प्रख्यात संस्कृतिकर्मी एवं कवि अशोक वाजपेयी ने रज़ा साहब के अंतिम वर्षों में बनाये गए चित्रों की प्रदर्शनी “अंतिमा “के उद्घटान समारोह में दी। प्रदशनी का उद्घटान रज़ा साहब के पुराने मित्र और जाने �
हिंदी के जाने माने लेखक, कवि और संस्कृतिकर्मी अशोक वाजपेयी ने लेखकों खासकर महिला रचनाकारों से अपने लेखन में अपने समय को दर्ज करते हुए राजनीतिक दृष्टि अपनाने की अपील की है। वाजपेयी ने 21 जनवरी को दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में प्रेमचन्द की पत्नी शिवरानी देवी के तीन कहांनी संग्रहों का लोकार्पण करते हुए यह बात कही। शिवरानी देवी के दो अनुपलब्ध कहांनी संग्रह "नारी हृदय "और" "कौमु�
अशोक वाजपेयी ने अपना 84 वाँ जन्मदिन मनाया। जब राजेन्द्र यादव 80 वर्ष के हुए थे तो उन्होंने उनक़ा जन्मदिन भी मनाया था यद्यपि उनसे उनकी नोक झोंक चलती रहती थी। क्या अशोक जी आत्म प्रदर्शन के लिए जन्म दिन मनाते हैं या हिंदी साहित्य में एक जीवंत माहौल बनाने के लिए मनाते हैं? क्या वह ऐसा कर लेखकों को एक सूत्र में बांधते हैं?
'कल्चरल कोलैप्स' यानी सांस्कृतिक पतन पर केन्द्रित रज़ा फाउंडेशन की गोष्ठी पिछले दिनों दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में हुई। इस बारे में कवि मिथिलेश श्रीवास्तव ने क्या महसूस किया इसपर उन्होंने अपने फेसबुक पर कुछ इस अंदाज़ में लिखा।
किसी बड़े रचनाकार की जन्मशती के मौके पर ये सवाल उठ सकता है कि उसे किस रूप में याद रखा जाए? खासकर अगर वह कई विधाओं में सक्रिय रहा हो तो। नेमिचंद्र जैन (जन्म 1919) की जन्म शती के मौके पर भी उनकी तमाम विधाओं के साथ उन्हें याद करते हुए उनके व्यक्तित्व का एक समग्र खाका खींचने की कोशिश हो रही है।