हिंदी के जाने माने लेखक, कवि और संस्कृतिकर्मी अशोक वाजपेयी ने लेखकों खासकर महिला रचनाकारों से अपने लेखन में अपने समय को दर्ज करते हुए राजनीतिक दृष्टि अपनाने की अपील की है। वाजपेयी ने 21 जनवरी को दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में प्रेमचन्द की पत्नी शिवरानी देवी के तीन कहांनी संग्रहों का लोकार्पण करते हुए यह बात कही। शिवरानी देवी के दो अनुपलब्ध कहांनी संग्रह "नारी हृदय "और" "कौमु
अशोक वाजपेयी ने अपना 84 वाँ जन्मदिन मनाया। जब राजेन्द्र यादव 80 वर्ष के हुए थे तो उन्होंने उनक़ा जन्मदिन भी मनाया था यद्यपि उनसे उनकी नोक झोंक चलती रहती थी। क्या अशोक जी आत्म प्रदर्शन के लिए जन्म दिन मनाते हैं या हिंदी साहित्य में एक जीवंत माहौल बनाने के लिए मनाते हैं? क्या वह ऐसा कर लेखकों को एक सूत्र में बांधते हैं?
'कल्चरल कोलैप्स' यानी सांस्कृतिक पतन पर केन्द्रित रज़ा फाउंडेशन की गोष्ठी पिछले दिनों दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में हुई। इस बारे में कवि मिथिलेश श्रीवास्तव ने क्या महसूस किया इसपर उन्होंने अपने फेसबुक पर कुछ इस अंदाज़ में लिखा।
किसी बड़े रचनाकार की जन्मशती के मौके पर ये सवाल उठ सकता है कि उसे किस रूप में याद रखा जाए? खासकर अगर वह कई विधाओं में सक्रिय रहा हो तो। नेमिचंद्र जैन (जन्म 1919) की जन्म शती के मौके पर भी उनकी तमाम विधाओं के साथ उन्हें याद करते हुए उनके व्यक्तित्व का एक समग्र खाका खींचने की कोशिश हो रही है।
मीडिया से लगभग गायब हो चुके साहित्य और साहित्यकारों को अगर कोई हिन्दी अखबार मंच दे और आज के दौर में पत्रकारिता की नई परिभाषा गढ़े तो बेशक इसके लिए वह बधाई का पात्र है। उत्तर भारत के सबसे विश्वसनीय अखबार ‘अमर उजाला’ ने ऐसी ही पहल की है।