कला के कई रूप हैं। रंगों की अपनी भाषा है। रेखाएं बोलती हैं। कलाकृतियां कुछ कहती हैं। चित्रों के पीछे पूरा एक दर्शन छुपा होता है और रंगों के संयोजन के पीछे कहीं न कहीं कोई कल्पना होती है। देशभर में कलाकार तो भरे पड़े हैं, दिल्ली, मुंबई समेत तमाम बड़े शहरों में बनी आर्ट गैलरी किसी न किसी कलाकार के काम का एक बेहतरीन आईना भी हैं। लेकिन तमाम कलाकारों का दर्द है कि इस देश में कला की कद्र नहीं। तमाम अकादमियां हैं, आर्ट और स्कल्पचर के तमाम कॉलेज हैं, बड़ी संख्या में यहां ये हुनर सीखने वाले भी हैं लेकिन ऐसा क्या है जो कलाकारों के भीतर उपेक्षा का भाव भरता है। हमारा मकसद इन सवालों पर बहस के साथ साथ देश भर के उन कलाकारों को मंच देना है और उनके काम को एक बड़ा आयाम देना है जो महज गैलरी में सिमट कर रह जाते हैं और चंद पेंटिग्स के बिक जाने का इंतज़ार भर करते हैं। कला के क्षेत्र में नया क्या हो रहा है, नई पीढ़ी के कलाकार क्या कर रहे हैं और जाने माने कलाकारों के काम को दुनिया किस तरह देख रही है – ये सब हम बताने की कोशिश करेंगे।


कला
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र की सूरत बदलेगी
mm Indian Art Forms
April 14, 2016

कला और संस्कृति के प्रतिष्ठित सरकारी केंद्र की ज़िम्मेदारी सरकार ने वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय को सौंपी है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के बोर्ड को भंग कर संस्कृति मंत्रालय ने पद्मश्री और वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय को इस केंद्र का नया प्रमुख बनाया है. बोर्ड में कला और संस्कृति के क्षेत्र से जुड़े 20 सदस्य होते हैं।

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बदलते दौर में कठपुतली कला को बचाने की कोशिश
mm Indianartforms
November 11, 2015

क्या आज कठपुतली कला कहीं गुम हो रही है या फिर इसमें नए प्रयोग किए जा रहे हैं... तमाम लोक कलाओं की तरह कठपुतली को लेकर जो चिंता इससे जुड़े कलाकार जताते रहे हैं, उनमें आज के दौर के हिसाब से क्या सचमुच बदलाव आ रहा है.. ये तमाम सवाल जब हमने कठपुतली को बचाने और इसके विकास के लिए काम कर रहे दादी पदुमजी से पूछे तो उनके चेहरे पर कोई खास उत्साह के भाव नहीं दिखे।

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