कला के कई रूप हैं। रंगों की अपनी भाषा है। रेखाएं बोलती हैं। कलाकृतियां कुछ कहती हैं। चित्रों के पीछे पूरा एक दर्शन छुपा होता है और रंगों के संयोजन के पीछे कहीं न कहीं कोई कल्पना होती है। देशभर में कलाकार तो भरे पड़े हैं, दिल्ली, मुंबई समेत तमाम बड़े शहरों में बनी आर्ट गैलरी किसी न किसी कलाकार के काम का एक बेहतरीन आईना भी हैं। लेकिन तमाम कलाकारों का दर्द है कि इस देश में कला की कद्र नहीं। तमाम अकादमियां हैं, आर्ट और स्कल्पचर के तमाम कॉलेज हैं, बड़ी संख्या में यहां ये हुनर सीखने वाले भी हैं लेकिन ऐसा क्या है जो कलाकारों के भीतर उपेक्षा का भाव भरता है। हमारा मकसद इन सवालों पर बहस के साथ साथ देश भर के उन कलाकारों को मंच देना है और उनके काम को एक बड़ा आयाम देना है जो महज गैलरी में सिमट कर रह जाते हैं और चंद पेंटिग्स के बिक जाने का इंतज़ार भर करते हैं। कला के क्षेत्र में नया क्या हो रहा है, नई पीढ़ी के कलाकार क्या कर रहे हैं और जाने माने कलाकारों के काम को दुनिया किस तरह देख रही है – ये सब हम बताने की कोशिश करेंगे।
पद्म विभूषण से सम्मानित प्रसिद्ध चित्रकार सैयद हैदर रज़ा का अपने जीवन पर गांधी जी का इतना प्रभाव पड़ा था कि विभाजन के बाद वह पाकिस्तान न जाकर भारत में ही रह गए थे जबकि उनकी पहली पत्नी पाकिस्तान में जाकर बस गयी थी। हिंदी के प्रसिद्ध कवि एवं संस्कृति कर्मी अशोक वाजपेयी ने यहां रज़ा पर अपनी पुस्तक सेलिब्रेशन एंड प्रेयर के विमोचन समारोह में यह बात कही। उन्होंने कहा कि एक बार मैंने
Read Moreमहाराष्ट्र के युवा चित्रकार गिरीश उरगुडे को आज यहाँ प्रथम वर्षिता शुक्ल वेंकटेश स्मृति पुरस्कार से नवाजा गया। प्रख्यात लेखक अशोक वाजपेयी कला समीक्षक प्रयाग शुक्ल, जाने माने चित्रकार जतिन दास और गोपी गजवानी ने श्री उरगुडे को यह पुरस्कार दिया।पुरस्कार में 50 हज़ार रुपए की राशि प्रशस्ति पत्र एवम प्रतीक चिन्ह शामिल है। श्रीमती वर्षिता वेंटकेश गोविंद राजन का कोविड में कैंसर के कारण
Read Moreहिंदी के प्रसिद्ध कवि एवं कला समीक्षक प्रयाग शुक्ल ने कहा है कि रंगमंच ऐसी कला है जिसमें सारी कलाएं रूपांतरित होकर मिल जाती हैं और मिलकर एक नई कला बन जाती है। शुक्ल ने भारंगम समारोह के दौरान" श्रुति" कार्यक्रम के तहत '' रंग प्रसंग "पत्रिका के युवा अंक का लोकार्पण करते हुए यह बात कही। प्रयाग शुक्ल ने ही इस पत्रिका का शुभारंभ किया था और इस इस अंक के अतिथि संपादक भी वहीं हैं। उन्होंने अ
Read Moreद्मविभूषण से सम्मानित महान चित्रकार सैयद हैदर रज़ा इतने नैतिक व्यक्ति थे कि वे अपने उस मकान में किरायेदार की तरह रहते थे जिसे उन्होंने अपने नाम पर बने फाउंडेशन को दे दिया था। यह जानकारी प्रख्यात संस्कृतिकर्मी एवं कवि अशोक वाजपेयी ने रज़ा साहब के अंतिम वर्षों में बनाये गए चित्रों की प्रदर्शनी “अंतिमा “के उद्घटान समारोह में दी। प्रदशनी का उद्घटान रज़ा साहब के पुराने मित्र और जाने �
Read Moreपत्थरों पर शिल्प और मूर्तिशिल्पियों की मेहनत से आकार लेती चट्टानें। लखनऊ में इन दिनों कलाकारों और कलाप्रेमियों के लिए इसे जीवंत देखना एक नई अनुभूति है। आठ दिनों तक चलने वाले अखिल भारतीय समकालीन मूर्तिकला शिविर यानी शैल उत्सव में कलाकृतियों को देखने बड़ी संख्या में कलाप्रेमी आ रहे हैं जिससे कलाकारों का मनोबल काफी बढ़ा है। लखनऊ विकास प्राधिकरण के सहयोग से वास्तुकला एवं योजना सं
Read Moreजन संस्कृति मंच की लखनऊ इकाई के सालाना समारोह में लेखक और पत्रकार अनिल सिन्हा की स्मृति में भारतीय चित्रकला का सच विषय पर विस्तृत चर्चा हुई। मुख्य वक्ता, जाने माने चित्रकार और कला समीक्षक अशोक भौमिक ने इस मौके पर भारतीय कला के तमाम पहलुओं और इसके ऐतिहासिक संदर्भों को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय कला का इतिहास तभी से शुरू होता है जब से हम इन चित्रों के बारे में जानना शु�
Read Moreललित कला अकादमी को इस बार की राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी और पुरस्कारों के लिए देश भर से 2291 कलाकारों की 5714 प्रविष्ठियां मिली। जाहिर है इतनी बड़ी संख्या में आई प्रविष्ठियों में से 20 कलाकारों को पुरस्कारों के लिए चुनना कोई आसान काम नहीं था। इसके लिए अकादमी ने दो निर्णायक मंडल बनाए।
Read Moreललित कला अकादमी की तमाम दीर्घाओं में देश के तमाम कलाकार अपने शानदार काम के साथ लगातार मौजूद हैं। यहीं पिछले दिनों जानी मानी कलाकार, क्यूरेटर और रंगों और शिल्पकारी की दुनिया में अपनी खास पहचान बना चुकी मध्य प्रदेश की सुप्रिया अंबर ने इस बार एक नया प्रयोग किया। यह प्रयोग खासकर महिला चित्रकारों/कलाकारों के लिए नई उम्मीद लेकर आया है।
Read Moreएक बेहतरीन और अद्भुत उर्जा से भरपूर कलाकार हैं अशोक भौमिक। प्यार से उन्हें लोग भौमिक दा कहते हैं। संघर्षों से तपे और बढ़े हैं। करीब चार दशकों से जन आंदोलनों से जुड़े रहे हैं। अब तो वो अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के बेहद संवेदनशील, सूक्ष्म दृष्टि रखने वाले और कला की बारीकियों पर लगातार लिखने वाले अद्भुत शख्सियत हैं। भौमिक दा की ताजा एकल प्रदर्शनी 'मेड इन द शेड' दिल्ली के कला प्रेमियों का
Read Moreअक्सर ये देखा गया है कि जो सत्ताएं मंगलकारी राज्य के नारे और घोषणाओं के साथ आती है वो एक ऐसे दु:स्वप्न या आतंककारी सत्ता में बदल जाती हैं जिसमें नागरिक सामान्य अधिकारों का हनन होता है। ये एक विश्वव्यापी परिघटना है और दुनिया भर के साहित्य और कलाओं में इसे लक्षित और इंगित किया गया है। योरोपीय समाज में इसे मोटे तौर फासिज्म नाम से जाना जाता है। भारतीय समाज में भी इस परिघटना की अनुगूंज�
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