हिंदी के प्रसिद्ध कवि एवं कला समीक्षक प्रयाग शुक्ल ने कहा है कि रंगमंच ऐसी कला है जिसमें सारी कलाएं रूपांतरित होकर मिल जाती हैं और मिलकर एक नई कला बन जाती है। शुक्ल ने भारंगम समारोह के दौरान" श्रुति" कार्यक्रम के तहत '' रंग प्रसंग "पत्रिका के युवा अंक का लोकार्पण करते हुए यह बात कही। प्रयाग शुक्ल ने ही इस पत्रिका का शुभारंभ किया था और इस इस अंक के अतिथि संपादक भी वहीं हैं। उन्होंने अ
Read Moreद्मविभूषण से सम्मानित महान चित्रकार सैयद हैदर रज़ा इतने नैतिक व्यक्ति थे कि वे अपने उस मकान में किरायेदार की तरह रहते थे जिसे उन्होंने अपने नाम पर बने फाउंडेशन को दे दिया था। यह जानकारी प्रख्यात संस्कृतिकर्मी एवं कवि अशोक वाजपेयी ने रज़ा साहब के अंतिम वर्षों में बनाये गए चित्रों की प्रदर्शनी “अंतिमा “के उद्घटान समारोह में दी। प्रदशनी का उद्घटान रज़ा साहब के पुराने मित्र और जाने �
Read Moreसाहित्य अकादेमी में भी अब अध्यात्म और सनातनी मान्यताओं को लेकर कार्यक्रम करने की तमाम पहल दिखाई देती है और भला इसके लिए महाकुंभ से बढ़कर कौन सा मौका हो सकता है। अकादमी ने महाकुंभ में कलाग्राम के मंच पर एक हिंदी कवि सम्मेलन का आयोजन किया और उसे सम्मेलन की जगह सम्मिलन कहा। इसकी अध्यक्षता प्रख्यात कवि एवं गीतकार बुद्धिनाथ मिश्र ने की।
Read More55वें विश्व पुस्तक मेले में हिंदी साहित्य में इस बार भी सदा की तरह स्त्रियों की आवाज़ें छाई रहीं। इस साल भी कई लेखिकाओं की पुस्तकें आई जिनमें कविता ,कहांनी ,उपन्यास ,आलोचना से लेकर अनुवाद तक शामिल है।इस बार मेले में कई विदुषी विदेशी महिला विद्वान भी आईं और उन्होंने विचार विमर्श में हिस्सा लिया।साथ ही स्त्री मुद्दे पर चर्चाएं भी आयोजित की गईं।हिंदी में स्त्री रचनाकारों की इतनी किता�
Read Moreकुंभ अब सामान्य कुंभ नहीं रहा.. महासमुद्र की तरह महाकुंभ हो गया है... वैसे तो फिल्मों में अक्सर कुंभ के मेले में बिछड़ने के किस्से सुने जाते रहे... रही भगदड़ की बात तो भला वो तो सियासत की भाषा में होती ही रहती है.. जहां भीड़ है वहां भगदड़ है और जहां भगदड़ है वहां मरना, गुम होना, डूबना, उतराना तो आम बात है... मंत्री संतरी तो यही कहते हैं भाई कि जहां इतनी भीड़ होगी, जहां इतना बड़ा आयोजन होगा, वहां त
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