हिंदी के प्रख्यात आलोचक नित्यानंद तिवारी ने देश के हालात पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह दौर समाज मे नफ़रत फैलाने और दो कौमों हिन्दू मुस्लिम को आपस में लड़ाने का है । श्री तिवारी ने जनवादी लेखक संघ की ओर से दिल्ली के हरकिशन सिंह सुरजीत भवन में उत्तर प्रदेश और दिल्ली के कवियों के साझा संकलन का विमोचन करते हुए यह बात कही। इस संकलन का संपादन दिल्ली विश्वविद्यालय के दयाल सि
Read Moreआपको जानकर ताज्ज़ुब होगा कि आजादी के बाद प्रगतिशील लेखक संघ के पहले सम्मेलन में विभाजन के खिलाफ कोई निंदा प्रस्ताव पेश नहीं किया गया था। प्रसिद्ध आलोचक और मीडिया के जानकार जगदीश्वर ने रज़ा फाउंडेशन की ओर से आयोजित युवा कार्यक्रम में यह सनसनीखेज़ जानकारी दी। कृष्णा सोबती की जन्मशती पर आयोजित इस समारोह में उन्होंने विभाजन और सोबती जी के लेखन विषय पर एक पर्यवेक्षक के रूप में टिप्
Read Moreमशहूर कवि, लेखक और संस्कृतिकर्मी अशोक वाजपेयी ने कहा है कि इस बार युवा कार्यक्रम में महिला वक्ताओं ने ज्यादा अच्छा प्रदर्शन किया है और उन्होंने पुरुषों को पीछे छोड़ दिया है। वाजपेयी ने रज़ा फाउंडेशन की ओर से आयोजित युवा कार्यक्रम के तहत हिंदी की यशस्वी लेखिका कृष्णा सोबती के जन्मशती समारोह के मौके पर यह बात कही।
Read More7 रंग रेडियो का खास कार्यक्रम आसपास। कृष्णा सोबती पर दिल्ली में दो दिनों के कार्यक्रम में क्या हुआ खास। रज़ा फाउंडेशन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में क्या कहा अशोक वाजपेयी ने।
Read Moreहिंदी की यशस्वी लेखिका कृष्णा सोबती क्या उभय लिंगी लेखिका थी? क्या उनकी भाषा राजनीतिक भाषा थी और उनकी लेखकीय दृष्टि और औपन्यासिक दृष्टि में कोई फांक थी? कृष्णा सोबती की जन्मशती के मौके पर रज़ा फाउंडेशन की ओर से आयोजित युवा समारोह में इन सवालों पर आरंभिक दो सत्रों में विचार हुआ।
Read More17 दिनों से राजधानी मेंधूमधाम से चल रहा भारत रंग महोत्सव एनएसडी पर डाक टिकट जारी होने और प्रख्यात लेखक धर्मवीर भारती के प्रसिद्ध कृति कनुप्रिया के मंचन के साथ समाप्त हो गया। दिल्ली के उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने समारोह में डाक टिकट जारी किया और अपने भाषण में पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का नाम न लेते हुए उनकी जबरदस्त खिंचाई की। उन्हें ऐसा फ्लॉप अभिनेता बताया जिसे जन
Read Moreहिंदी में पहली ओपेरा करनेवाली पद्मभूषण से सम्मानित प्रख्यात शास्त्रीय गायिका शन्नो खुराना का ओपेरा जब साठ के दशक में दिल्ली में हो रहा था तब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू उसे देखने आए थे, वे आइफेक्स में आधे घण्टे तक उसे देखने आए थे लेकिन वह ओपेरा उन्हें इतना पसंद आया कि वे उसे पूरा देखना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने विदेश से आये नेताओं के साथ अपनी अपॉइंटमेंट रद्द कर दी।
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