(अमर उजाला के सलाहकार संपादक उदय कुमार मॉरीशस से लगातार विश्व हिन्दी सम्मेलन पर बेहतरीन रिपोर्ताज अपने अखबार और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भेज रहे हैं। सम्मेलन के आखिरी दिन यानी सोमवार 20 अगस्त को क्या कुछ हुआ , हिन्दी को विश्व की भाषा बनाने के साथ ही बदलते तकनीकी दौर और डिजिटल युग के साथ जोड़ने और विकसित करने को लेकर सम्मेलन में क्या विचार आए , उदय जी की इस रिपोर्ट से इसकी विस्तृत जानकारी मिलती है। ये रिपोर्ट हम ‘7 रंग’ के पाठकों के लिए अमर उजाला से साभार ले रहे हैं।)
हिन्दी को भविष्य और विश्व की भाषा बनाने के संकल्प के साथ 11वां विश्व हिंदी सम्मेलन सोमवार को यहां संपन्न हो गया। इस मौके पर जो अनुशंसाएं की गईं उसमें मुख्य जोर हिंदी को सूचना-प्रौद्योगिकी और कंप्यूटर की भाषा के रूप में विकसित करने पर दिया गया।
यहां गोस्वामी तुलसीदास नगर के विशाल सभागार में आयोजित समापन समारोह में गीतकार प्रसून जोशी और मॉरीशस के दिवंगत साहित्कार अभिमन्यु अनत समेत देश-विदेश के विद्वानों को विशिष्ट हिंदी सेवी सम्मान से नवाजा गया।
सी-डैक समेत कई संस्थाओं को भी हिंदी के साफ्टवेयर और टूल विकसित करने के लिए सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मॉरीशस के कार्यवाहक राष्ट्रपति परम शिव पिल्लै वयापुरी ने कहा कि समय आ गया है कि हिंदी को दुनिया में बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए। इसके लिए सभी को प्रयास करना होगा।
उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत भी हिंदी से की। तीन दिन के सम्मेलन में चर्चा के जो आठ सत्र हुए, उनकी अनुशंसाएं भी रखी गईं। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र से प्रसारित होने वाले साप्ताहिक हिंदी बुलेटिन को भी दुनिया भर से आए हिंदी प्रेमियों को सुनाया गया।
मॉरीशस की आजादी हिंदी भाषा की बदौलत ….अनिरुद्ध
समापन समारोह के विशिष्ट अतिथि मॉरीशस के मार्गदर्शक और रक्षा मंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ ने कहा कि इस विश्व हिंदी सम्मेलन से भारत और उनके देश में खून का रिश्ता और गहरा हुआ है।
उन्होंने कहा कि मॉरीशस की आजादी हिंदी भाषा की बदौलत है। इसलिए वह चाहते हैं कि उनके देश की नई पीढ़ी हिंदी सीखे।
हिंदी हुकूमत की ताकत से नहीं,मानव शक्ति से बढ़ रही
विभिन्न देशों से आए हिंदी सेवियों का आभार जताते हुए विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने कहा कि इतिहास गवाह है कि भाषाएं हुकूमतों की ताकत से आगे बढ़ीं। लेकिन,भारत में संस्कृत भाषा संस्कृति के साथ विकसित हुई। अब हिंदी भाषा मानव शक्ति से आगे बढ़ रही है। इसलिए इसे विश्व भाषा बनने में कोई संदेह नहीं है।
हिंदी को सर्वग्राही बनाने के लिए डिजिटल इंकलाब की जरूरत
वरिष्ठ कवि डॉ.अशोक चक्रधर ने अपने सत्र की अनुशंसा में हिंदी में डिजिटल इंकलाब की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि हिंदी को संचार और सूचना-प्रौद्योगिकी की भाषा बनाने के लिए कोशिशें तेज करनी होंगी। हिंदी और भारतीय भाषाओं के लिए विशिष्ट प्रोग्रामिंग करनी चाहिए। इसके साथ ही मॉरीशस जैसे देशों से हिंदी में डिजिटल साझीदारी बढ़ाई जाए। उन्होंने खासतौर पर ‘ई-महाशब्दकोश’ और ‘इमली’ साफ्टवेयर की चर्चा की जो भारत में विकसित हुए हैं।
(अमर उजाला डॉट कॉम से साभार)
Posted Date:August 21, 2018
4:11 pm Tags: amar ujala, vishwa hindi sammelan, udai kumar, udai sinha, udai kumar amar ujala, hindi sammelan, 11th vishwa hindi sammelan