5 मार्च 1925 को नासिक में जन्में वसंत साठे जब 23 साल के थे तभी उन्होंने सोशलिस्ट पार्टी से अपना राजनीतिक सफर शुरु किया… इससे पहले आजादी आंदोलन के दौरान साठे ने छात्र जीवन के दौरान तमाम आंदोलनों में हिस्सा लिया.. बचपन से ही साहित्य, कला, संस्कृति में गहरी दिलचस्पी रही। बाद में कांग्रेस में शामिल हुए। 1972 में पहली बार अकोला से सांसद बने। बाद में वर्धा से भी तीन बार लोकसभा चुनाव जीते। इंदिरा गांधी के करीबी रहे और 1980 में सूचना प्रसारण मंत्री बने। इसी दौरान दूरदर्शन रंगीन हुआ और एशियाई खेलों का सीधा प्रसारण हुआ। टीवी पर हमलोग जैसे लोकप्रिय धारावाहिक और दूसरे सोप ओपेरा की शुरुआत हुई। बाद में साठे ने कई और महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाले। लेकिन जहां भी रहे उनकी दिलचस्पी पढ़ने लिखने में हमेशा रही। अपने देश को लेकर उनकी चिंताएं और दीर्घकालिक सोच उनकी किताबों में देखी जा सकती है – चाहे वो भारत में सार्वजनिक क्षेत्र का पुनर्गठन हो, राष्ट्रीय सरकार – एक नए भारत का एजेंडा हो या फिर आसान टैक्स प्रणाली को लेकर उनका नज़रिया हो। कला और संस्कृति के लिए उन्होंने काफी काम किया। अक्सर नेशनल गैलरी ऑफ माडर्न आर्ट्स से लेकर ललित कला अकादमी, साहित्य अकादमी और संगीत नाटक अकादमी से करीब का रिश्ता रखा और तमाम बौद्धिक मंचों पर साठे जी को सुनना एक अनुभव होता था। बेहद सरल, सहज औक सबसे बेहद संजीदगी से मिलने वाले। साठे जी की जन्मशती पर दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में हुए कार्यक्रम में सियासत और कला से जुड़ी हस्तियों ने शिरकत की तो संगीत की बयार भी बही। वरिष्ठ पत्रकार विमल कुमार इस मौके पर मौजूद थे। उन्होंने इस कार्यक्रम से जुड़ी ये रिपोर्ट भेजी है।

बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा है कि पूर्व सूचना प्रसारण मंत्री वसंत साठे एक बहुत ही सज्जन और उदार राजनीतिज्ञ थे तथा उनके अधीन काम करते हुए उनसे मैंने बहुत कुछ सीखा था। आरिफ मोहम्मद खान ने वसंत साठे के जन्मशती समारोह का उद्घटान करते हुए कहा कि जब में पहली बार केंद्र में उप-सूचना और प्रसारण मंत्री बना तो साठे उस मंत्रलाय के कैबिनेट मंत्री थे। उस समय मेरी उम्र मात्र 29 वर्ष की थी। उनसे जब मुलाकात हुई तो वे बड़े गर्म जोशी से मिले।
वसंत साठे की जन्मशती पर यह कार्यक्रम दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित किया गया।
उन्होंने कहा कि सरकार में एक कैबिनेट मंत्री और जूनियर मंत्री के रिश्ते बहुत अच्छे नहीं होते, सीनियर मंत्री अधिक महत्व नहीं देता पर साठे साहब ने सचिव को बुलाकर कहा कि मंत्रालय की हर फ़ाइल उप मंत्री के पास से होकर गुजरेगी और तब मेरे पास आएगी। ऐसा विश्वास उन्होंने मुझ पर जताया और मुझे स्नेह और प्यार दिया।
उन्होंने कहा कि साठे जैसे राजनीतिज्ञ अब कहाँ मिलते हैं जो अपने कनिष्ठ लोगों का इतना ख्याल रखते हों। उन्हें संस्कृति और कला की बड़ी गहरी जानकरी थी।
इससे पहले पद्मश्री से सम्मानित नृत्यांगना शोभना नारायण ने कहा कि वसंत साठे हमारे जैसे लोगों के मेंटॉर थे। उन्हें संगीत, नृत्य, कला, साहित्य की गहरी जानकारी थी। आप उनसे हिंदी कविता, उर्दू शायरी, मराठी साहित्य जैसे किसी विषय पर भी बात कर सकते थे। वे उसके अधिकारी विद्वान की तरह बात करते थे। मेरा उनसे बड़ा ही स्नेहपूर्ण सम्बंध था। वे बड़े गर्म जोशी से मिलते थे।
समारोह के शुरु में महान शास्त्रीय गायक कुमार गंधर्व की पुत्री और प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका कलापिनी कोमकली ने कहा कि मुझे इस बात की ख़ुशी है कि वह श्री साठे के जन्मशती समारोह में अपना कार्यक्रम पेश कर रही हैं। समारोह में आई आई सी के अध्यक्ष श्याम शरण ने श्री खान को फूलों का गुलदस्ता देकर सम्मानित किया जबकि श्री खान ने शोभना नारायण को फूलों का गुलदस्ता देकर समानित किया।
समारोह के अंत मे हरि प्रसाद चौरसिया ने अपने बांसुरी वादन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
Posted Date:
March 5, 2025
9:26 pm
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कांग्रेस नेता वसंत साठे