सुर मानो ठहर गए हों… संगीत खामोश हो गया हो… उनकी गायिकी अब महज़ यादों और अथाह संगीत अल्बमों में रह गई है.. अब हम उन्हें कभी लाइव नहीं सुन पाएंगे… पंडित जसराज चले गए… मेवाती घराने की आवाज़ थम गई…90 साल के पंडित जसराज ने अमेरिकी के न्यू जर्सी में सबको हमेशा के लिए अलविदा कह गए… कोराना काल में वैसे भी लगातार ऐसी दुखद और मनहूस खबरें आ रही हैं… पंडित जी भी इसी कतार में शामिल हो गए… बहुत दूर चले गए…7 रंग परिवार की तरफ से आवाज़ के उस जादूगर, सुरों के शहंशाह पंडित जसराज को सादर नमन और श्रद्धांजलि…
फिलहाल उनके बारे में अमर उजाला और दैनिक भास्कर में तत्काल छपी खबरों से उन्हें जानते समझते हैं…
सबसे पहले अमर उजाला की खबर…
जाने-माने शास्त्रीय गायक पंडित जसराज नहीं रहे। उनका अमेरिका के न्यू जर्सी में निधन हो गया है। वह 90 वर्ष के थे। उनका जन्म 28 जनवरी 1930 को हुआ था। मेवाती घराने के पंडित जसराज खयाल गायकी के शीर्षस्थ गायक थे। उनकी बन्दिशें अत्यधिक लोकप्रिय हैं। अमेरिका के न्यू जर्सी में भी उनका घर है। वहां उनका संगीत का विद्यालय भी चलता है।
जसराज भारत के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायकों में से एक थे। जसराज का संबंध मेवाती घराने से रहा। जसराज जब चार वर्ष उम्र में थे तभी उनके पिता पण्डित मोतीराम का देहांत हो गया था और उनका पालन पोषण बड़े भाई पंडित मणिराम के संरक्षण में हुआ।
प. जसराज ने संगीत दुनिया में 80 वर्ष से अधिक बिताए और कई प्रमुख पुरस्कार प्राप्त किए। शास्त्रीय और अर्ध-शास्त्रीय स्वरों के उनके प्रदर्शनों को एल्बम और फिल्म साउंडट्रैक के रूप में भी बनाया गया है। जसराज ने भारत, कनाडा और अमेरिका में संगीत सिखाया है। उनके कुछ शिष्य नामी संगीतकार भी बने हैं।
पंडित जसराज के निधन के समाचार के बाद संगीत प्रेमियों में शोक की लहर है। सोशल मीडिया पर उन्हें याद कराते हुए लगातार श्रद्धांजलि दी जा रही है। अपने जीवनकाल में उन्होंने मेवाती घराने के 76 सुशीष्य तैयार किए। इनका जिक्र लेखक सुनील बुद्धिराजा की हाल ही में प्रकाशित पुस्तक रसराज-जसराज में मिलता है।
उनकी पुत्री दुर्गा जसराज ने भी संगीत के साथ ही साथ टीवी के माध्यम से भी लोकप्रियता हासिल की।
दैनिक भास्कर की खबर…
गायिकी के ‘रसराज’ ने सुरों की दुनिया से आज रुखसत ले ली। जाने माने शास्त्रीय गायक पंडित जसराज का 90 साल की उम्र में कार्डिएक अरेस्ट की वजह से निधन हो गया। पद्म विभूषण पंडित जसराज पिछले कुछ समय से अपने परिवार के साथ अमेरिका में ही थे।
28 जनवरी 1930 को हरियाणा के हिसार में जन्मे पंडित जसराज ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते थे, जो 4 पीढ़ियों से शास्त्रीय संगीत की परंपरा को आगे बढ़ा रहा था। खयाल शैली की गायिकी पंडित जसराज की विशेषता रही। उनके पिता पंडित मोतीराम मेवाती घराने के संगीतज्ञ थे। जब पंडित जसराज महज तीन-चार साल के थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया था। वे पहले तबला सीखते थे। बाद में उन्होंने गायिकी की तालीम शुरू की। उन्होंने साढ़े तीन सप्तक तक शुद्ध उच्चारण और स्पष्टता रखने की मेवाती घराने की विशेषता को आगे बढ़ाया।
जसरंगी जुगलबंदी की रचना की
पंडित जसराज ने एक अनोखी जुगलबंदी की रचना की। इसमें महिला और पुरुष गायक अलग-अलग रागों में एक साथ गाते हैं। इस जुगलबंदी को जसरंगी नाम दिया गया।
मधुराष्टकम् उन्हें प्रिय था
मधुराष्टकम् श्री वल्लभाचार्य जी द्वारा रचित भगवान कृष्ण की बहुत ही मधुर स्तुति है। पंडित जसराज ने इस स्तुति को अपने स्वर से घर-घर तक पहुंचा दिया। पंडित जी अपने हर एक कार्यक्रम में मधुराष्टकम् जरूर गाते थे। इस स्तुति के शब्द हैं -अधरं मधुरं वदनं मधुरं, नयनं मधुरं हसितं मधुरं। हृदयं मधुरं गमनं मधुरं, मधुराधिपतेरखिलं मधुरं॥
जसराज के सम्मान में ग्रह का नाम रखा गया था
सितंबर 2019 में पंडित जसराज को अमेरिका ने एक अनूठा सम्मान दिया और 13 साल पहले खोजे गए एक ग्रह का नाम उनके नाम पर रखा गया। ग्रह की खोज नासा और इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन के वैज्ञानिकों ने मिलकर की थी। इस ग्रह का नंबर पंडित जसराज की जन्म तिथि से उलट था। उनकी जन्मतिथि 28/01/1930 है और ग्रह का नंबर 300128 था। नासा का कहना था कि पंडित जसराज ग्रह हमारे सौरमण्डल में गुरु और मंगल के बीच रहते हुए सूर्य की परिक्रमा कर रहा है।
अंटार्कटिका में गाने वाले अनूठे भारतीय
पंडित जसराज ने 2012 में एक अनूठी उपलब्धि हासिल की थी। 82 साल की उम्र में उन्होंने अंटार्कटिका के दक्षिणी ध्रुव पर अपनी प्रस्तुति दी। इसके साथ ही वे सातों महाद्वीप में कार्यक्रम पेश करने वाले पहले भारतीय बन गए। पद्म विभूषण से सम्मानित मेवाती घराना के पंडित जसराज ने 8 जनवरी 2012 को अंटार्कटिका तट पर ‘सी स्प्रिट’ नामक क्रूज पर गायन कार्यक्रम पेश किया। पंडित जसराज ने इससे पहले 2010 में पत्नी मधुरा के साथ उत्तरी ध्रुव का दौरा किया था।
प्रधानमंत्री ने कहा- बेजोड़ गायिकी वाले असाधारण गुरु थे पंडित जसराज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पंडित जसराज के निधन से भारतीय संस्कृतिक जगत में एक खालीपन आ गया है। न सिर्फ उनकी गायिकी बेजोड़ थी, बल्कि वे कई गायकों के लिए असाधारण गुरु भी थे।
Posted Date:
August 17, 2020
7:30 pm