हैदर रज़ा के अंतिम वर्षों में बनाए गए चित्रों की प्रदर्शनी
पद्मविभूषण से सम्मानित महान चित्रकार सैयद हैदर रज़ा इतने नैतिक व्यक्ति थे कि वे अपने उस मकान में किरायेदार की तरह रहते थे जिसे उन्होंने अपने नाम पर बने फाउंडेशन को दे दिया था। यह जानकारी प्रख्यात संस्कृतिकर्मी एवं कवि अशोक वाजपेयी ने रज़ा साहब के अंतिम वर्षों में बनाये गए चित्रों की प्रदर्शनी “अंतिमा “के उद्घटान समारोह में दी। प्रदशनी का उद्घटान रज़ा साहब के पुराने मित्र और जाने माने डॉक्टर, वैज्ञानिक प्राण तलवार ने किया जो 1952 में पेरिस में उनके रूममेट थे।
दस दिनों तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में रज़ा साहब के 66 चित्र हैं जो उन्होंने भारत वापस आने के बाद दिल्ली में रहते हुए 2010 से 2016 के बीच बनाये थे। समारोह में प्रख्यात पत्रकार मार्क टुली उनकी अनुवादक पत्नी जिलियन राइट, एम के रैना, यशोधरा डालमिया, उदयन वाजपेयी, अखिलेश, ज्योतिष जोशी, अपूर्वानंद समेत कई जाने माने लोग उपस्थित थे।
अशोक वाजपेयी ने कहा कि रज़ा साहब ने अपने जीवन काल मे 5 हज़ार से अधिक पेंटिंग बनाई थी जिनमें 600 पेंटिंग उन्होंने पेरिस से भारत आने के बाद दिल्ली में रहते हुए साढ़े पांच वर्षों में बनाई। यह चित्र प्रदर्शनी उन्हीं पेंटिंग्स को लेकर है। इस प्रदर्शनी का नाम अंतिमा है जो सुमित्रनंदन पंत की किताब के नाम पर है। इसी किताब के नाम पर मेरी छोटी बहन का नाम रखा गया था। रज़ा साहब को हिंदी के कवियों और उनकी कविताओं से गहरा लगाव और प्रेम था। उन्होंने महादेवी जी की कविता ‘पँथ रहने दो अपरिचित प्राण रहने दो अकेला’ पर भी पेंटिंग बनाई थी। इस प्रदर्शनी में भी तुलसीदास की विनय पत्रिका और मीर के शेर “पत्त्ता पत्त्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है” पर पेंटिंग बनाई है।
उन्होंने कहा कि रज़ा साहब 29 दिसम्बर 2010 की आधी रात दिल्ली आए थे और 23 जुलाई 2016 तक रहे। अपने सफदर जंग एनक्लेव के उस मकान में रहे जो आज रज़ा फाउंडेशन का दफ्तर है। जब वे उस फ्लैट में रहने आये तो उन्होंने कहा कि वे रज़ा फाउंडेशन के एक न्यासी हैं इसलिए उस मकान में मुफ्त में रहना अनैतिक होगा इसलिए वे इस फ्लैट का किराया देकर उसमें रहेंगे। वे उसमें मृत्यु पर्यंत रहे और 6 साल में 600 चित्र बनाये। वे रोज पेंट करते थे।
उन्होंने कहा कि रज़ा के अंतिम वर्षों में तेरह प्रदशनी लगी जिनमें तीन कोलकत्ता, तीन मुम्बई और एक लंदन में। रज़ा साहब के इन चित्रों में मास्टर आर्टिस्ट की झलक है। उनमें उनकी चित्रकला का उत्कर्ष देखा जा सकता है। वे अपने इन चित्रों में और उनमुक्त विचरते देखे जा सकते है। वे “उनमुक्ति” के आर्टिस्ट हो गए थे। जीवन के इन अंतिम वर्षों में बने इन चित्रों में “अंत” का भाव नहीं है बल्कि जीवन के “अंतिम चरण” का भाव है।
उन्होंने बताया कि रज़ा साहब ने अपने जीवन में अनेक लोगों की मदद की थी औऱ अनेक लोगों ने भी उनकी मदद की थी जिनके प्रति वे कृतज्ञ रहते थे।उन्होंने बताया कि जब रज़ा साहब पेरिस जाने से पहले मुम्बई में एक चाल में रहते थे तब एक दिन उस चाल में किसी की हत्या हो गयी वे उस चाल में वापस गए ही नहीं तब सैय्यद अशरफ खान नामक व्यक्ति ने मदद की और रज़ा साहब उनके यहां शिफ्ट हो गए।श्री वाजपेयी ने श्री खान के दोनों पुत्रों से लोगों का परिचय भी कराया और बताया कि उन दिनों तीन यहूदियों ने भी मदद की जो हिटलर के नाज़ीवाद से त्रस्त होकर मुम्बई में रहने लगे थे।
प्रदर्शनी का उद्घटान करते हुए 98 वर्षीय तलवार ने कहा कि 1952 में रजा साहब से मेरी मुलाकात पेरिस में हुई थी ।तब हम दोनों फ्रांसीसी फेलोशिप पर पेरिस आये थे। हम दोनों का क्षेत्र अलग अलग था। हम दोनों एक ही होस्टल के कमरे में दो साल रहे और जीवन पर्यंत मित्र रहे। वे चित्रकला से थे। मैं विज्ञान से था।रज़ा साहब विलक्षण व्यक्ति थे।बहुत उदार और मानवीय।वे पूरी तरह भारतीय थे। वे बाद में भारत के बड़े चित्रकार बने। हमारी दोस्ती अंत तक बनी रही। उदयन वाजपेयी की प्रदर्शनी के बारे में राय थी कि रज़ा साहब ने अंतिम दिनों में जो चित्र बनाये हैं उनमें एक महान चित्रकार की ऊंचाई है औऱ उन्होंने सायास चित्र नहीं बनाए हैं बल्कि उनके चित्र बनाने की प्रक्रिया में खुद ब खुद उभरे हैं। उनके रंग बहुत जीवंत है।कई चित्रों में नीले रंग का सुंदर प्रयोग किया है। उनके छोटे छोटे चित्र भी विलक्षण हैं।
23 फरवरी तक चलनेवाली इस प्रदर्शनी में रज़ा के चित्रों में बहुत विविधता है और कई चित्र बिना शीर्षक के हैं पर कुछ चित्रों के शीर्षक बहुत आकर्षक हैं।स्वस्ति, तन्मय, रूप अरूप, आर पार, मंगल कामना वृक्ष आदि शीर्षक वाले चित्र बड़े भावपूर्ण हैं।
रज़ा उत्सव फरवरी के अंत तक चलेगा। रज़ा पर बनी एक फ्रेंच फ़िल्म भी दिखाई जाएगी और उनके पैतृक शहर मांडला में उनकी जयंती पर समारोह होंगे।
अरविंद कुमार की रिपोर्ट
Posted Date:February 13, 2025
10:57 pm Tags: अशोक वाजपेयी, सैयद हैदर रज़ा