अपने देश में कला और संस्कृति के अलग अलग रूप हैं। हर शहर की अपनी संस्कृति, परंपरा, कला और पहचान होती है। और अगर उसे यूनेस्को अपनी सूची में शामिल कर ले तो जाहिर है उसकी अहमियत और बढ़ जाती है। यूनेस्को की ताजा सूची में अब श्रीनगर का नाम भी जुड़ गया है। देश के पांच शहर पहले से ही यूनेस्को की सूची में रचनात्मक शहर का दर्ज़ा पा चुके हैं। ये शहर हैं – मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, वाराणसी और जयपुर। अब इसी 8 नवंबर को यूनेस्को ने श्रीनगर को एक रचनात्मक शहर के तौर पर नामित किया। इसके साथ, जम्मू और कश्मीर की राजधानी दुनिया भर में 295 रचनात्मक शहरों के नेटवर्क के क्लब में शामिल हो गई है।
यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क 2004 में यूनेस्को द्वारा शुरू की गई एक परियोजना है जिसका उद्देश्य ‘उन शहरों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है जिन्होंने रचनात्मकता को अपने शहरी विकास में एक रणनीतिक कारक के रूप में मान्यता दी है’। यूनेस्को के अनुसार, रचनात्मक शहरों के रूप में नामित शहर ‘स्थानीय स्तर पर अपनी विकास योजनाओं के केंद्र में रचनात्मकता और सांस्कृतिक उद्योगों को रखने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय रूप से सहयोग करने’ के एक सामान्य उद्देश्य की दिशा में मिलकर काम करते हैं।
यूनेस्को रचनात्मक शहरों का चुनाव सात क्षेत्रों में उसकी उपलब्धि के आधार पर करता है – शिल्प, लोक कला, मीडिया कला, फिल्म डिजाइन, गैस्ट्रोनॉमी, साहित्य और संगीत। यूनेस्को ने इस बार 49 शहरों को रचनात्मक शहरों के नेटवर्क के हिस्से के रूप में नामित किया। इसके साथ, दुनिया के रचनात्मक शहरों की कुल संख्या 90 देशों में 295 तक पहुंच गई है। श्रीनगर शहर ने 2018 में भी आवेदन किया था लेकिन तब वह इस सूची में शामिल नहीं हो सका था।
श्रीनगर शहर को शिल्प और लोक कला के क्षेत्र में रचनात्मक शहर के रूप में नामित किया गया है – जयपुर के बाद इस श्रेणी में भारत का दूसरा शहर है। जबकि मुंबई को फिल्म श्रेणी में सम्मानित किया गया है, चेन्नई और वाराणसी को उनके संगीत के लिए यूसीसीएन का हिस्सा बनाया गया है। हैदराबाद गैस्ट्रोनॉमी श्रेणी में एक यूसीसीएन शहर है।
रिद्धिमा श्रीवास्तव की रिपोर्ट