महाभारत की तीन सशक्त महिला किरदारों पर ‘स्त्री स्पंदन’

महाभारत की तीन सशक्त महिला किरदारों  कुंती, द्रौपदी और गांधारी ने जो किया क्यों किया, उनपर सवाल उठाने वालों को जवाब देने की रचनात्मक कोशिश… देश की शीर्ष नृ्यांगनाओं ने ‘स्त्री संपंदन ‘ के ज़रिये नारी हृदय और उनके फैसलों के पीछे की कहानी को समझने और समझाने का किया जीवंत प्रयास  … कथक गुरु शोवना नारायण, मोहिनीअट्टम की गोपिका वर्मा और ओडिसी की शैरोन लॉवेन का ‘स्त्री स्पंदन’

अपने देश की परंपरा और संस्कृति के साथ साथ महाकाव्यों के किरदारों को आज के संदर्भ में मंच पर उतारने में कथक गुरु पद्मश्री शोवना नारायण को महारथ हासिल है। उनकी संस्था आसावरी के सालाना कार्यक्रम ललितार्पण में इस बार महाभारत की तीन सशक्त महिला किरदारों कुंती, द्रौपदी और गांधारी  को केन्द्र में रखकर यह बताने की कोशिश की गई कि उन्होंने जो किया वह क्यों किया। कथक की मुद्राओं के ज़रिये शोवना नारायण ने कुंती के चरित्र को जीवंत कर दिया जबकि मोहिनीअट्टम की जानी मानी नृत्यांगना गोपिका वर्मा ने द्रौपदी और ओडिसी की मशहूर नृत्यांगना शैरोन लॉवेन ने गांधारी को सजीव कर दिया।

दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में ‘स्त्री स्पंदन’ शीर्षक से ये तीन बेहतरीन नृत्य प्रस्तुतियां हुईं… तीनों ही महिला किरदारों ने कौरव-पांडव युद्ध के दौरान जो कुछ भी किया वह क्यों किया.. यह पूरी नृत्य नाटिका इसे ही पेश करती है… पहले युद्ध का दृश्य फिर तीनों पात्रों की पीड़ा… और इसके बाद पहले कुंती के किरदार में शोवना नारायण, फिर द्रौपदी की कहानी कहती गोपिका वर्मा और अंत में गांधारी की पीड़ा को अपनी भंगिमाओं से पेश करती शैरोन लॉवेन… तीनों ही अपनी अपनी शैली की बेहतरीन नृत्यांगनाएं। शोवना नारायण ने हमेशा सभी शास्त्रीय नृत्य शैलियों को एक सूत्र में पिरोने की कोशिश की है, कई नए नए प्रयोग किए हैं.. उसी कड़ी में यह प्रस्तुति अपना असर छोड़ गई। कोई 12 साल पहले इसे चेन्नई में पेश किया गया था और अब इतने सालों बाद इसे और नए प्रयोगों और नृत्य संरचनाओं के साथ पेश किया गया।

बेशक ऐसे किसी कार्यक्रम की कुछ शुरुआती औपचारिकताएं होती हैं.. दीप प्रज्जवलन, पूर्व संस्कृति मंत्री मीनाक्षी लेखी का अनौपचारिक सा संबोधन और भारतीय संस्कृति में साड़ी की खूबसूरती और इसकी अहमियत पर कुछ बातें… स्वागत और सम्मान। शोवना नारायण ने मेहमानों का दिल से स्वागत किया… खासकर अपनी गुरु बहन शाश्वती के साथ साथ तमाम युवा गुरु बहनों और नृत्य की दुनिया की उन तमाम हस्तियों का उन्होंने आभार जताया। मुंबई से खास तौर से इस कार्यक्रम के लिए आए गुरु विजय शंकर जी का भी उन्होंने आभार जताया। कार्यक्रम में कई राजनयिक भी मौजूद थे।

कथक की दुनिया में अहम योगदान देने वाली और नई पीढ़ी को लगातार कथक में पारंगत बनाने वाली पद्मश्री शोवना नारायण 75 साल की हो चुकी हैं… भारतीय शास्त्रीय नृत्य की समृद्ध परंपरा को लगातार आगे बढ़ाने का काम कर रही हैं… भारतीय शास्त्रीय नृत्य और खासकर कथक पर अबतक 17 किताबें लिख चुकी हैं।

स्त्री स्पंदन के बारे में शोवना नारायण बताती हैं कि गांधारी का चरित्र धर्मवीर भारती के मशहूर नाटक अंधा युग पर आधारित है जबकि द्रौपदी की मूल स्क्रिप्ट जाने माने मलयाली कवि, नाटककार कवलम पाण्णिकर की है जबकि कुंती के किरदार को खुद शोवना नारायण ने जिस तरह महसूस किया उसे अपनी स्क्रिप्ट में उतारा है… इस पूरी प्रस्तुति की संगीत संरचना तीन जाने माने संगीतज्ञों की है.. गोपिका वर्मा की प्रस्तुति का संगीत कोवलम पण्णिकर ने, शैरोन लॉवेल के लिए संगीत तैयार किया बलराम चंद्र ने जबकि शोवना नारायण की प्रस्तुति के लिए संगीत संरचना उस्ताद ज्वाला प्रसाद ने तैयार किया।

समारोह के दूसरे दिन भरतनाट्यम की मशहूर नृत्यांगना रामा वैद्यनाथन ने रत्नगर्भा शीर्षक से अपनी प्रस्तुति से दर्शकों को बांध लिया, वहीं कथक के युवा कलाकार प्रवीन परिहार और आसावरी रेपर्टरी के युवा कलाकारों की ओर से ताल की एक खास शैली 5.25 बीट्स पर ‘सपद पंच’ पेश किया।

  • अतुल सिन्हा

 

Posted Date:

October 16, 2024

11:31 am Tags: , , , , , , , , , , ,

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