(हरीश नवल जी के फेसबुक वॉल से)
‘पृथ्वी थियेटर’ के संरक्षक स्वर्गीय शशि कपूर नहीं रहे..
यह समाचार आहत कर गया..अरसे से वे बहुत अस्वस्थ थे
लेकिन थे….
…सन १९८४ में मुझे उनके साथ कुछ दिन बिताने का सौभाग्य मिला था। मैं ‘पृथ्वी थियेटर’ संदर्भित शोध पत्र तैयार कर रहा था …हम रोज़ ‘कौशल्या कोटेज’में मिलते थे जहाँ शशि कपूर जी की शूटिंग चल रही थे …उनके साथ
तनुजा और नीलू फूले भी दृश्यों में थे ….
…कोटेज के लॉन के एक ओर एक झूलेदार सीट रखी हुई थी जिस पर शशि जी मुझे अपने साथ बिठा कर मेरे सवालों के जवाब देते थे …और ‘पृथ्वी थियेटर’ के गौरवशाली अतीत का इतिहास खोलते खोलते भावुक हो जाते थे ..विशेषत: ‘पापा जी’ के संदर्भों में ….’पठान’,’दीवार’,
‘आहूति’…आदि नाटकों और मंचन के सूत्रों को मनोयोग से बताते थे ….
….उन्हें सब ‘शशि बाबा’ सम्बोधित करते थे ..उन्हें बहुत आदर देते व प्यार करते थे ….शशि बाबा के पास तब एक पुरानी ऐम्बैसडर थी जिसमें वे ड्राइवर के साथ वाली सीट पर बैठते और मुझसे पीछे सिर घुमा घुमा कर बात करते..,मैं कहता ‘पीछे बैठिए आपका सिर दर्द करेगा..’ उनका जवाब होता ‘तुम तो चले जाओगे …मैं तो बाद में पाइलट से ही बात करुंग़ा..मेरी आदत है ..’
मैंने उनसे एक बार पूछा कि कार क्यों नहीं बदलते…उन्होंने कहा कि वे क़र्ज़दार हैं …नई गाड़ी नहीं ख़रीद सकते …
…उनका कथन था मुझे राज जी ‘टैक्सी’ कहते हैं क्योंकि सभी ऑफ़र ले लेता हूँ लेकिन कमर्शल फ़िल्मों से कमा कर ‘अच्छी फ़िल्में बनाता हूँ इससे मुझे संतुष्टि मिलती है पैसा नहीं मिलता अलबत्ता क़र्ज़ चढ़ जाता है …
….शशि जी के कुछ नज़दीकी उनसे जूहु में स्थित पृथ्वी थियेटर की भूमि पर व्यवसायिक भवन निर्माण के लिए कहते थे …लेकिन शशि जी प्रतिबद्ध थे कि वे ऐसा नहीं करेंगे..पापा जी के सपने की रक्षा करेंगे…रंगमंच समर्पण नहीं तजेंगे ……अप्रतिम थे शशि कपूर जी ….
…..तभी उन्हें ‘न्यू दिल्ली टाइम्ज़ ‘ में अभिनय हेतु राष्ट्रीय पुरस्कार घोषित हुआ था …और मैंने जीवन में इतने ‘पुष्प गुच्छे’ कभी एक साथ नहीं देखे जितने शशि जी के अभिनंदन के लिए प्रेषित देखे….शशि दा उस दिन बहुत ख़ुश थे…उनकी चिर परिचित भव्य मुस्कान और भी ग़ज़ब ढा रही थी ….उन्हें सिने जगत का बहुत दुलार मिला …
…,,,,हिंदी सिनेमा का वह रोमांटिक प्यारा हीरो अंग्रेज़ी सिनेमा और अंग्रेज़ी रंगमंच से भी बहुत सम्बद्ध रहा…..
…उन्हें भुलाया न जा सकेगा ….एक छोटी सी पर विशेष घटना और इंगित करना चाहता हूँ …’कौशल्या कोटेज’ में एक दोपहर अनु कपूर आए और शशि दा के चरण स्पर्श
कर बोले’ बाबा मैंने नई कार ली है फ़ीएट ‘ आप आशीर्वाद दीजिए’….शशि द ने मुझसे कहा ‘ देखो अनु ने नई कार ले ली …समझो मेरी नई कार आ गई …अब ख़ुश !!!!!!!!
……मैं हतप्रभ!!…….दोस्तो कार दर्शन के उपरांत शशि कपूर जी ने मेरा कैमरा अनु कपूर जी को देकर उनसे अपने साथ मेरी फ़ोटो खिंचवाई जो आप अभी देख सकेंगे …,
…सादर नमन उस नेकदिल कला समर्पित दिवंगत व्यक्तित्व को ।
December 5, 2017
10:12 am Tags: shashi kapoor, शशि कपूर, हरीश नवल की यादें, पृथ्वी थिएटर शशि कपूर, harish naval