ईमानदारी का श्राद्ध
यह तो भाई हद हो गई। वे बार-बार कह रहे हैं कि वे कट्टर ईमानदार हैं, बेईमानी से दूर-दूर तक उनका कोई नाता नहीं है। फिर भी कोई मानने को तैयार ही नहीं है। जब वे गला फाड़-फाड़कर ईमानदारी की कसमें खा रहे हैं तब तो हर किसी को उनकी बात पर विश्वास कर ही लेना चाहिए।
हो सकता है कि वे ईमानदार हों और विरोधी उन्हें जबरन बेईमान साबित करने पर तुले हों। या फिर वे ईमानदारी में लोट लगा रहे हों और दूसरों को लगा हो कि वे बेईमानी के कुंड में नहा रहे हैं। यह भी संभव है कि उनकी ईमानदारी कुछ-कुछ बेईमानी किस्म की रही हो और उन्हें अहसास ही नहीं रहा हो कि इसमें कुछ गड़बड़ है। या वे यह मानकर चले रहे हों कि इत्ती सी बेईमानी तो जायज है। चूंकि वे भरी महफिल में दावा ठोक रहे हैं तो उन्हें ईमानदार मानने में कोई हर्ज नहीं है।
वे पैदाइशी ईमानदार थे। इतने ईमानदार कि उन्हें पिद्दी सी बेईमानी से भी चिढ़ थी। उन्हें हर कोई बेईमान ही नजर आता था। अचानक उनके दिल में ईमानदारी ने हिलोरें मारीं। उन्होंने भ्रष्टाचार और बेईमानों से निपटने के लिए देशसेवा की ठान ली। देशसेवा करने पर उतारू व्यक्ति हमेशा राजनीति की गंगा की ओर भागता है। इसलिए वे भी सियासत में कूद पड़े। उन्हें मालूम था कि बार-बार दूसरों को बेईमान और खुद को ईमानदार बताकर ही राजनीति में ऊपर पहुंचा जा सकता है। उन्हें कामयाबी मिली। भ्रष्टाचार मिटाते-मिटाते बेईमानी के कीचड़ के छींटें उनके कपड़ों पर भी पड़े तो हल्ला मचा। अब वे फिर ईमानदारी का राग अलापने में लगे हैं।
दरअसल ईमानदारी और बेईमानी के बीच बहुत बारीक रेखा है, जो अधिकतर लोगों को नजर नहीं आती है। राजनीति में तो यह रेखा लगभग अदृश्य होती है। ईमानदार को पता ही नहीं चलता कि कब वह दूसरी ओर पहुंच गया है। फिर उसे वहीं आनंद आने लगता है। जब दूसरे उसे टोकते हैं तो वह भड़क जाता है –तुम सब झूठ बोल रहे हो, मैं अब भी पक्का ईमानदार हूं। जिसमें तुम्हें बेईमानी की झलक दिख रही है वह तो निरी ईमानदारी है। अब ईमानदारी ऐसी ही दिखने लगी है। समय के साथ-साथ इसका रंग थोड़ा उतर गया है। फिर भी लोग उनकी बात समझने को राजी नहीं हैं।
किसी की ईमानदारी पर ज्यादा चर्चा नहीं होनी चाहिए। होता होगा कभी ईमानदार बड़ा वजनदार शब्द। लेकिन रुपये की तरह इसका भी लगातार अवमूल्यन हो रहा है। अब यह इतना हल्का हो गया है कि कोई भी अपने नाम के साथ यह शब्द जोड़ लेता है। इसका अर्थ अब बदल गया है। कोई सामने आकर कहे कि वह ईमानदार है तो हर किसी को हंसी आ सकती है। हां कोई खुद को बेईमान बताए तो सभी विश्वास कर लेंगे।
आम आदमी कभी ईमानदारी या बेईमानी के चक्कर में नहीं पड़ता है। बेईमानी करना उसकी हैसियत में नहीं है और ईमानदारी का वह ढिंढोरा पीटकर करेगा क्या। उसे किसी तरह रोटी का जुगाड़ करने से कभी फुरसत मिले तब तो वह इस पचड़े में पड़े। बाकी सभी ईमानदारी के काम में सिर से पांव तक डूबे हुए हैं। वैसे भी जब तक कोई बेईमानी करते पकड़ा न जाए तब तक वह कट्टर ईमानदारों की लिस्ट में माना जाएगा। अगर गलती से भ्रष्टाचार के किसी मामले में नाम चल भी गया तो वह दावा ठोक सकता है कि उसकी ईमानदारी के कारण उसे फंसाया गया है। वह घोटालेबाज कैसे हो सकता है, उसकी ईमानदारी का तो डंका बजता था। देखना वह इंसाफ  की अग्निपरीक्षा में पारस बनकर निकलेगा।
ईमानदारी का एक रेट चार्ट होता है। राजनीति से लेकर दफ्तरों तक ईमानदारी की दुकान इसी रेट चार्ट से चलती है। सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि रेट से ज्यादा वसूली हो तभी भ्रष्टाचार की श्रेणी में रखा जाएगा। नहीं तो सभी ईमानदार। परीक्षा में विद्यार्थी 33 फीसदी नंबर लाए तो उसे पास माना जाता है। यही फार्मूला यहां भी लागू किया जा सकता है। अगर कोई 33 फीसदी ईमानदारी भी दिखाए तो उसे बेईमान न समझा जाए। इससे ईमानदारों की संख्या बढ़ेगी और लाखों लोग बेईमानी की रेखा से ऊपर आ जाएंगे।
बहुत साल बाद मिले एक मित्र मुझे देखते ही बोले- अब भी आपके चेहरे पर कुछ-कुछ ईमानदारी झलकती है। मैंने कहा- मैं मजबूरी में ईमानदार हूं। बेईमानी का अवसर ही नहीं मिल पा रहा है। मित्र गुस्साया- मौका मिलता नहीं, खोजा जाता है। बेईमानी के हजार मौके हैं। बाहर नजर तो दौड़ाओ। सियासत से लेकर बाजार तक और दफ्तर से लेकर सड़क तक। कोई भी काम पकड़ लो, हर जगह, हर पल ईमानदारी का श्राद्ध करने का सुअवसर है। जिधर देखो उधर ईमानदारी का तर्पण चल रहा है। बिना इसका तर्पण किए सफलता की वैतरिणी पार नहीं की जा सकती।
मुझे मित्र की बात पूरी तरह जंची। अब संकल्प कर लिया है कि मैं ईमानदारी का श्राद्ध करके ही मानूंगा। मेरी तरह कुछ और लोग भी मजबूरी में ईमानदार जीवन जी रहे होंगे। उनको मेरी नेक सलाह है कि वे भी अवसरों की तलाश में निकलें और कहीं थोड़ी भी गुंजाइश दिखे तो तुरंत मौके का फायदा उठाएं।
अनिल त्रिवेदी
वरिष्ठ पत्रकार और व्यंग्यकार
Posted Date:

September 20, 2024

5:17 pm

One thought on “ईमानदारी का श्राद्ध”

  1. SHYAKANDU says:

    ईमानदारी का श्राद्ध करने में सफल हो जाएं तो मुझे भी प्रक्रिया बताना।

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