करिया और टाइगर की दुम…
बहस दमदार थी। जगह थी गली का मोड़। एक तरफ टाइगर और दूसरी तरफ करिया। हट्टे-कट्टे टाइगर के गले में पट्टा बंधा था। पहली बार वह मालिक को चकमा देकर बंगले से बाहर आया था। करिया था तो दुबला-पतला पर वह अपनी गली का सबसे स्मार्ट था। टाइगर गली के मोड़ पर पहुंचा तो करिया से उसका सामना हो गया। करिया और टाइगर की दिलचस्प वार्ता और इससे निकलने वाले संदेश पर अनिल त्रिवेदी का व्यंग्य…
करिया को देखकर टाइगर गुर्राया- अबे, ए कुत्ते एक तरफ हट। करिया ने पलटकर देखा, लेकिन विवाद टालने के लिहाज से चुप रहा। टाइगर का साहस बढ़ा। उसने फिर वही वाक्य दोहराया। फिर क्या था, करिया भी भड़क गया। वह भी भौंका- अच्छा तो तुम अपनी जात भी भूल गए। औकात मत भूलो। तुम भी कुत्ते की औलाद हो। अपने काम से काम रखो और जहां से आए हो चुपचाप चले जाओ। करिया के व्यंग्य वाण टाइगर को चुभ गए। वह भड़का- जुबान संभालकर बात करना। बाप-दादा तक मत जाओ वरना नोचकर सड़क पर फेंक दूंगा। तुझे नहीं मालूम मेरा नाम टाइगर है टाइगर। अब मैं कुत्ता नहीं हूं। कुत्ते हो तुम और जीवन भर वही रहोगे।
टाइगर के ये शब्द करिया को तीर की तरह लगे। वह तमतमाया- अबे, पालतू कुत्ते, टाइगर नाम रखवाने से क्या तेरा बाप भी बदल गया? जा चुपके से रास्ता नाप। मुझे तो गर्व है कि मैं कुत्ता हूं। मेरे मुंह मत लग वरना बहुत पछताएगा। टाइगर भी कम नहीं था। वह भी जोर लगाकर भौंका-अरे मरघिल्ले, पहले अपनी सींकिया बॉडी देख फिर धमकी दे। गली-गली मारा-मारा फिरता है। तू मुझे चुनौती दे रहा है? क्या बिगाड़ लेगा मेरा? एक पंजा मारा तो दोनों आंखें बाहर आ जाएंगी। खबरदार जो मुझे कुत्ता समझा। मेरा बाप भले ही कुत्ता रहा हो, पर मैं कुत्ता नहीं हूं। मैं टाइगर हूं। एक तरफ हटता है कि नहीं।
करिया ने मुस्कराते हुए टाइगर पर व्यंग्य बाण मारा-अच्छा तो तुम लंबे अरसे से पालतू हो। तुम वाकई में हमारी जात के नहीं रहे। तुम्हारी आवाज बदल गई है। तुम्हें तो अब कायदे से भौंकना भी नहीं आता। जा, अब सीधे घर जा वरना वह तेरा मालिक, तेरा बाप तुझे खोजते हुए चेन लेकर आता ही होगा। पालतू कुत्ते गली में नहीं घूमते।
करिया के कड़वे शब्द टाइगर के सीधे कलेजे में लगे। वह तिलमिलाया और भौंकते हुए झपटा-खबरदार जो मालिक के बारे में कुछ भी कहा। हां, अब वही मेरे बाप हैं। मुझे पालतू होने पर गर्व है। तेरी तरह रोटी के टुकड़ों के लिए मारा-मारा तो नहीं फिरता। मेरे मालिक मेरे लिए भगवान हैं। तू क्या समझेगा। तू ठहरा आवारा। हटता है कि नहीं? टाइगर और करिया के बीच गरमागरमी बढ़ी तो मोड़ पर लोगों का जमघट भी बढ़ गया। ताकत के बजाय दोनों एकदूसरे को तर्कों से परास्त करने के मूड में आ गए।
करिया पहले तो जोर से हंसा फिर बोला-अच्छा तो तू मालिक के दम पर अपने को बिल गेट्स समझने लगा। बंगले में रहता है तो तू अपना कुत्तापन भी भूल गया। टाइगर फिर भड़का। गुर्राते हुए बोला-तू अभी मुझे नहीं जानता है। पीछे वाली गली में एक एकड़ में बना है मेरा बंगला। उसी में ठाठ से रहता हूं मैं। तू क्या जाने बंगले के सुख।
करिया ने मुंह बिदकाया- छी-छी। उसने एक टांग उठाकर इशारा किया-ऐसे सुख पर तो मैं पेशाब भी नहीं करूंगा। तू एक गुलाम है। बंगले में रहने वाला गुलाम। कैदी की तरह है तेरा जीवन। कभी मालिक बाहर ले भी गया तो गले में जंजीर डालकर। मुझे देखो, मैं पूरी तरह आजाद हूं। मर्जी का मालिक। पूरी गली अपनी, पूरा मोहल्ला अपना। और तू गुलामी की जिंदगी जी रहा है। जा, कैदखाने में जा वरना मालिक पकड़ ले जाएगा। हो सकता है मार भी पड़े।
करिया की बातें टाइगर को चुभ गईं। नथुने फूलाकर बोला-मैं स्वामिभक्त हूं। बंगला और मालिक की हिफाजत करना मेरा कर्तव्य है। तू यह कर्तव्य कभी नहीं निभा सकता। तू तो आवारा है। करिया भी तैश में आ गया। जोर से भौंका- बड़ा आया कर्तव्यपरायणता का पाठ पढ़ाने। तू तो केवल एक बंगले की हिफाजत करता है, मैं पूरी गली की हिफाजत करता हूं। तुझे पता है कि तेरा मालिक ठेकेदार है। एक नंबर का चोर। तू उसकी हिफाजत करता है। यही है कर्तव्य? चोर कहीं का, हराम की खाते-खाते तेरा खून भी हरामी हो गया है।
टाइगर के लिए यह शब्द असहनीय था। उसने गुस्से में करिया को ललकारा-मालिक के बारे में ऊटपटांग मत बोलना। वह मुझे बहुत प्यार करता है इसलिए उसके बारे में अपशब्द मैं सहन नहीं कर सकता। मैं मालिक के साथ खेलता हूं। मालकिन की गोद में अठखेलियां करता हूं। बच्चों का दिल बहलाता हूं। तू तो इतने प्यार की कल्पना भी नहीं कर सकता।
करिया ने एकतरफ थूकते हुए कहा- लानत है ऐसे प्यार पर जो मूल स्वभाव ही बदल दे। जिस प्यार की तू बात करता है उसने तेरा भौंकना तक छीन लिया है। याद है तुझे कि पिछली बार तू खुलकर कब भौंका था? हम कुत्तों का काम है भौंकना और सबको भौंककर आगाह करते रहना। बंगलों में रहने वाले तेरे जैसे कुत्ते यह सब नहीं कर सकते। तूने तो अभी तक किसी का पाजामा तक नहीं फाड़ा होगा, काटने की बात तो दूर है।
टाइगर ने जवाब में मुंह खोलना चाहा तो करिया ने डपट दिया- चुप, जो एक लफ्ज भी निकाला। मालिक की गुलामी में तो तू दुम सीधी रखना तक भूल गया। दुम हिलाते-हिलाते वह सदा के लिए झुक गई। करिया ने टाइगर को चुनौती दी-अगर तू अपनी दुम ऊपर करके दिखा दे तो मैं गली छोड़कर चला जाऊंगा। टाइगर को ताव आया- ले देख अभी करता हूं दुम ऊपर। सबकी निगाह टाइगर की दुम पर जा टिकी। टाइगर ने जोर लगाया, दुम थोड़ी हिली जरूर पर नीचे से ऊपर नहीं हुई। करिया को हंसी आ गई। उसके साथी भी हंसे। जमा भीड़ भी हंसने लगी।
टाइगर खिसिया गया। तब तक मालिक उसे आता दिखाई दिया। पास आकर मालिक ने उसे पुचकारा। गले में चेन लगाई और टाइगर को समझाया, गली के कुत्तों से दूर रहाकर। टाइगर मालिक के संग चल तो दिया लेकिन करिया के साथ बहस में हार का गम उसके चेहरे पर झलक रहा था। अब उसे लग रहा था कि करिया की बातों में दम है। मोड़ पर साथियों के साथ खड़ा करिया विजयी भाव से मुस्करा रहा था। वह बड़बड़ाया-साला मुझसे आया था टक्कर लेने। मालिक की गोद में बैठ-बैठकर भौंकना तक भूल गया। हिलाते-हिलाते दुम हमेशा के लिए नीचे लटक गई।
टाइगर और करिया की बहस का मैं भी प्रत्यक्षदर्शी था। मुझे लगा करिया का अंतिम वाक्य मुझ पर भी चोट कर रहा है-मालिक की गोद में बैठकर भौंकना तक भूल गया। तो क्या करिया पत्रकार जगत का भी जानकार है। कहीं उसने हम पर भी कटाक्ष तो नहीं किया? पत्रकार जगत में भी तो टाइगरों की भरमार है। दुम उठाना तो दूर हिलाना तक भूल गए हैं। करिया तो इक्का-दुक्का बचे हैं।
अनिल त्रिवेदी
वरिष्ठ पत्रकार और व्यंग्यकार
Posted Date:

August 20, 2024

9:50 pm Tags: , ,

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