लॉकडाउन के वक्त का नया रंगमंच
* रवीन्द्र त्रिपाठी क्या इस क्वारंटीन और लॉकडाउन के समय में रंगमंच में कोई नवीनता आ सकती है? बहसें चल रही हैं। कई, बल्र्कि ज्यादातर, रंगकर्मी ऐसे हैं जो भरतमुनि और स्तानिस्लावस्की के सिद्धांतों से टस से मस होने के लिए तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि थिएटर सिर्फ वास्तविक स्पेस यानी रंगमंच में संभव है और ऑनलाइन थिएटर नाम की कोई चीज संभव नहीं हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो इन दौर में नया प्रयोग कर रहे हैं और वीडियो की तकनीक के माध्यम से नए तरह का नाटकीय अनुभव सामने ला रहे हैं। इस पर बहस होगी और होनी चाहिए भी क्या ये सच में रंगमंच है? लेकिन किसी भी विधा में नवीनता को लेकर बहस कब नहीं हुई हैं? ऐसे ही एक रंगमंच प्रयोग की चर्चा यहां होगी जिसे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पूर्व स्नातक और चर्चित रंगकर्मी दौलत वैद ने किया है। डिस्टेंस थिएटर परफॉऱमेंस नाम के इस प्रयोग में राजपाल यादव, हिमानी शिवपुरी, यशराज यादव, झिलमिल हजारिका, दौलत वैद, सौती चक्रवर्ती, रमनजीत कौर, हरविंदर कौर बबली, प्रदीप प्रसन्न, गीता गुहा, राजीव चौहान, अश्विनी जोशी और योगेंद्र सिंह के परफॉरमेंस के वीडियो हैं और वीडिया- संपादक राजीव चौहान ने सबको एक फिल्म के रूप में प्रस्तुत किया है। दौलत वैद इस प्रयोग को और आगे बढाने वाले हैं और उनकी योजना है कि जिन अभिनेताओं और अभिनेत्रियों में मंच पर यादगार नाट्य चरित्रों को निभाया है उनको एक साथ संयोजित कर पेश किया जाए। मिसाल के लिए जिनने जिनने `अंधायुग’ के अश्वत्थामा की भूमिका निभाई है या `आधे अधूरे’ की सावित्री के किरदार को निभाया है वे अपने वीडियो बना कर भेजें। ऐसे सभी या कई अश्वत्थामाओं/ सावित्रियों के एक साथ देखा जा सकता है और ये भी महसूस किया जा सकता है कि आखिर अलग अलग अभिनेता या अभिनेत्री एक ही चरित्र के कितने अक्स दिखाते हैं। जब हम मंच पर किसी `अंधायुग’ या `आधे अधूरे’ की प्रस्तुति में अश्वत्थामा या सावित्री को देखते हैं तो किसी एक एक्टर का देखते हैं। पर अलग अलग एक्टर उस किरदार के कैसे निभातें हैं , ये मंच पर नहीं देखा जा सकता है। ये इसी तरह के प्रयोगों में देखा जा सकता है। बेशक इस तरह की रंगानुभूति पारंपरिक रंगानुभूति से अलग होगी। पारंपरिक रंगानुभूति चूंकि मंच केंद्रित होती है इसलिए उसमें एक विशिष्ट समय में किसी एक अभिनेता को ही देख सकते हैं। (अगर ऐसी कोई प्रस्तुति न तैयार की गई है जिसमें एक के बाद दूसरे कलाकार अपने परफॉर्मेंस देते रहें। लेकिन उसमें वक्त लगेगा)। लेकिन अगर वीडियो पर इन बहुतेरी प्रस्तुतियों के एक साथ पेश किया जाए तो रंगमंच का स्वाद कुछ विशिष्ट हो जाएगा। बहरहाल ये प्रयोग है और आगे चलकर ये क्या रूप लेगा ये कहा नही जा सकता है। लेकिन इतना तो कहना पड़ेगा कि इस लॉकडाउन समय में भी एक्टर अपने अपने घरों मे बैठकर अपने कुछ पंसदीदा चरित्रों का अभिनय करते हुए उनका वीडियो बना सकते हैं और फिर उनको संपादित कर ऐसे क्रम में पेश किया जा सकता है कि जिसका आनंद दर्शक घर बैठे ले सकते हैं। कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं। अपने मोबाइल पर भी इस तरह के रंगमंच का आनंद लिया जा सकता है। जो पारंपरिक सोच वाले हैं उनके सामने ये विकल्प खुला है कि इस तरह का प्रयोग न करें। लेकिन उनको भी याद रखना चाहिए कि संकट के दिनों में हर कला में नवाचार होता है। दौलत ने जो किया है और जिसे यू –ट्यूब पर भी देखा जा सकता है वो, उन दर्शकों को भी रंगमंच से जोड़ सकता है जो आज तक किसी थिएटर हॉल में नहीं गए हैं। वो भी अपने लैपटॉप, डेस्कटॉप या मोबाइल पर इस तरह के नाटक देख सकते हैं। इसी प्रयोग में इस बात के भी बीज छिपे हुए हैं कि कोई एक्टर चाहे तो अपनी एकल प्रस्तुति अपने घर बैठे कर सकता या सकती है।
Posted Date:

June 1, 2020

11:12 pm Tags: , , , ,
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