रघुवीर सहाय, मंगलेश डबराल की याद में प्रतिरोध दिवस

देश के सौ से ज्यादा लेखकों और रचनाकारों ने फासीवादी ताकतों के उभार और पत्रकारों को संसद में जाने से रोकने जैसे सवालों पर नौ दिसंबर को प्रतिरोध दिवस मनाने का फैसला किया है। हिंदी के जाने माने कवि पत्रकार रघुवीर सहाय और मंगलेश डबराल की स्मृति में दिल्ली के प्रेस क्लब में आयोजित होने वाले इस प्रतिरोध दिवस कार्यक्रम में ये प्रस्ताव पास किया जाएगा कि देश भर में रचनाकर्म और संस्कृतिकर्म के जरिये प्रतिरोध का ये सिलसिला लगातार जारी रहे।

प्रतिरोध दिवस की पहल करने वाले लेखकों और रचनाकर्मियों में खास हैं – ज्ञानरंजन, अशोक वाजपेयी , प्रयाग शुक्ल, इब्बार रब्बी, नरेश सक्सेना , मृदुला गर्ग, असग़र वजाहत,  कुमार प्रशांत,  गिरधर राठी,  सुधा अरोड़ा,  पंकज बिष्ट, रामशरण जोशी, विभूति नारायण राय,  विष्णु नागर, विनोद भारद्वाज, असद ज़ैदी,  वीरेंद्र यादव,  अशोक भौमिक,  गोपेश्वर सिंह,  अजेय कुमार,  लीलाधर मंडलोई,  अशोक कुमार,  अरविंद मोहन, उर्मिलेश, मदन कश्यप, देवी प्रसाद मिश्र, कुमार अम्बुज, मिथिलेश श्रीवास्तव, हरिमोहन मिश्र,   गोपाल प्रधान, सुभाष राय,  विनोद तिवारी , रवींद्र त्रिपाठी ,  बलि सिंह, अलका सरावगी, मधु कांकरिया, सुधा सिंह, अल्पना मिश्र, आशुतोष कुमार, हीरालाल राजस्थानी ,अनीता भारती,  सूर्यनारायण,  प्रियदर्शन, संजय कुंदन, पीयूष दईया, बाबुषा कोहली, रश्मि भारद्वाज,  अणुशक्ति सिंह  आदि।

कार्यक्रम में अशोक वाजपेयी की नई किताब का भी लोकार्पण होगा जिसमें उन्होंने प्रतिरोध की रचनाएं लिखने वाले लेखकों की रचनाएं शामिल की हैं। कार्यक्रम के संयोजक और कवि विमल कुमार के मुताबिक इस मौके पर जो प्रस्ताव पारित किया जाएगा उसमें देश में दक्षिणपंथी साम्प्रदायिक शक्तियों और लोकतंत्र की आड़ में फासीवादी ताकतों  के उभार तथा सत्ता तथा क्रोनी कैप्टलिजम के  गठबंधन पर गहरी चिंता जताई जाएगी और लेखकों कलाकारों पत्रकारों से अपील की जाएगी कि देश में लगातार गढ़े जा रहे  झूठ का पर्दाफाश करें तथा सत्य और न्याय के पक्ष में खड़ें हों एवम  संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए आगे आएं।

इन लेखकों ने अपील की है कि देशभर की लघु पत्रिकाओं और प्रगतिशील जनवादी मूल्यों में यकीन  करनेवाली संस्थाएं आनेवाले वर्षों में वर्तमान चुनौतियों के  मद्दे नज़र प्रतिरोध के साहित्य पर ध्यान केन्द्रित करते हुए विशेषांक निकालें और कार्यक्रम  आयोजित करें।

यह  भी अपील की गई है कि अगले वर्ष  प्रेमचन्द जयंती 31जुलाई से लेकर 31 जुलाई 2023 तक प्रतिरोध  वर्ष मनाया जाए। इस दौरान अधिक से अधिक प्रतिरोध साहित्य लिखा जाये, संगोष्ठियां आयोजित की जाएं, रचना पाठ किये जाएँ तथा किताबों का  प्रकाशन हो। लेखकों के प्रतिरोध सम्मेलन दिल्ली, भोपाल, लखनऊ, पटना चंडीगढ़ ,जयपुर ,कोलकत्ता, मुम्बई बनारस ,इलाहाबाद जैसे तमाम शहरों में हों। प्रेमचन्द  निराला मुक्तिबोध महादेवी ,ओमप्रकाश वाल्मीकि  आदि की स्मृति में जब समारोह हो तो  उसे प्रतिरोध दिवस केरूप में मनाया जाए।

 

Posted Date:

December 9, 2021

11:11 am
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